जयपुर. राजस्थान रोडवेज श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे की ओर से 24 नवंबर को प्रदेशव्यापी हड़ताल के एलान के बाद अब गहलोत सरकार सख्त हो गई है. राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कर्मचारियों पर रेस्मा लागू कर दिया (Gehlot Govt imposed Resma on Roadways services) है. अधिसूचना के अनुसार राजस्थान पथ परिवहन निगम की समस्त सेवाओं, कार्यालयों और उनके क्रियाकलापों से संबंधित सेवाओं पर 17 नवम्बर से आगामी 6 माह तक अत्यावश्यक सेवा घोषित किया गया है.
ये जारी हुई अधिसूचना: गृह विभाग के शासन उप सचिव से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के ध्यान में आया है कि राजस्थान पथ परिवहन निगम के विभिन्न कर्मचारी संगठनों की ओर से प्रदेशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है. उन्होंने बताया कि इस हड़ताल से राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की समस्त सेवाओं, कार्यालयों एवं उनके क्रियाकलापों से संबंधित सेवाओं के प्रदाय एवं अनुरक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. साथ ही इसके परिणामस्वरूप लोगों को भारी कठिनाई का सामना भी करना पड़ेगा. शासन उप सचिव ने बताया कि इन परिस्थितियों को देखते हुए राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की समस्त सेवाओं को आगामी 6 माह तक के लिए अत्यावश्यक सेवा घोषित किया है.
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क्या है रेस्मा: रेस्मा लागू होने के उपरान्त यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाता है, तो वह अवैध एवं दण्डनीय मानी जाएगी. रेस्मा लागू होने के बाद इस आदेश के चलते किसी भी कर्मचारी को बिना किसी वारन्ट के गिरफ्तार किया जा सकता है. सरकारें रेस्मा लगाने का फैसला इसलिए करती हैं क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों के लिए आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका रहती है. रेस्मा अधिकतम 6 माह के लिए लगाया जा सकता है.
24 नवंबर से हड़ताल की चेतावनी: राजस्थान रोडवेज के श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे की ओर से 'रोडवेज बचाओ-रोजगार बचाओ' संकल्प के साथ 21 सूत्रीय मांगों के लिए 24 नवम्बर को एक दिन की प्रदेशव्यापी हड़ताल का एलान किया हुआ है. रोडवेज कर्मचारियों की नाराजगी है कि सरकार रोडवेज का निजीकरण करना चाह रही है. रोडवेज कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा. सेवानिवृत्त कर्मचारियों कोपेंशन नहीं मिल रही है. भुगतान समय पर मिले और कार्य व्यवस्था सही तरीके से निर्धारित किए जाने सहित करीब 11 सूत्री मांगों को लेकर रोडवेज कर्मचारी आंदोलित हैं.