जयपुर:बूंदी का रामगढ़ विषधारी प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व होगा. टाइगर रिजर्व से जुड़े काम जल्द ही धरातल पर शुरू करने की योजना बनाई जा रही है. केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद वन विभाग ने चौथे टाइगर रिजर्व का प्लान तैयार किया है. दूसरे वन क्षेत्रों से टाइगर और अन्य वन्यजीवों को शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बूंदी जिले में स्थित रामगढ़ विषधारी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित करने की घोषणा की थी. रामगढ़ विषधारी के टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित हो जाने से प्रदेश में बाघों को बेहतरीन प्राकृतिक आवास मिलेगा. उनका बेहतर तरीके से संरक्षण और संवर्धन हो सकेगा. रामगढ़ विषधारी अभयारण्य 1017 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.
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रणथंभौर नेशनल पार्क में लगातार बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. कई बार बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट देखने को मिलती है. लिहाजा चौथा टाइगर रिजर्व बनाने की योजना बनाई गई. दूसरे वन क्षेत्रों से टाइगर और अन्य वन्यजीवों को रामगढ़ विषधारी में शिफ्ट किया जाएगा.
रणथंभौर नेशनल पार्क में 70 टाइगर हैं. यहां अनुमानित कैपेसिटी 40 है. सरिस्का टाइगर रिजर्व में 25 टाइगर है. यहां अनुमानित कैपिसिटी 35 है. मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में 1 टाइगर है. यहां अनुमानित कैपेसिटी 12 है. रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में एक टाइगर है. यहां अनुमानित कैपेसिटी 10 है.
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वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक मोहन लाल मीणा ने बताया कि मुख्यमंत्री की बजट घोषणा थी कि बूंदी के रामगढ़ को टाइगर रिजर्व बनाया जाए. संभावनाओं को तलाश करते हुए वन विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया. जिसे राज्य सरकार के अनुमोदन के बाद भारत सरकार को भेजा गया. भारत सरकार ने प्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. चौथा टाइगर रिजर्व सैद्धांतिक रूप से स्वीकृत हो गया है. टाइगर रिजर्व की नोटिफिकेशन के लिए फील्ड स्टाफ के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रक्रिया अपनाते हुए शीघ्र नोटिफिकेशन बनाकर भेजें.
चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन (Chief Wildlife Warden) मोहन लाल मीणा ने बताया कि बूंदी का रामगढ़ ऐसा इलाका है, जहां पर रणथंभौर (Ranthambore) से टाइगर आते रहे हैं और रहवास करते रहे हैं. पिछले 1 साल से रणथंभौर का एक टाइगर बूंदी के रामगढ़ में है. हर साल रणथंभौर सहित कई टाइगर रामगढ़ जंगल में आते हैं और अपने आप को हष्ट-पुष्ट करके वापस रणथंभौर चले जाते हैं या फिर कई बार आगे कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व (Mukundra Tiger Reserve) में चले जाते हैं. नए टाइगर रिजर्व से रणथंभौर का टाइगर रिजर्व और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व दोनों मिल जाएंगे. निश्चित रूप से अच्छी कॉरिडोर बनेगी. इससे बाघों का कुनबा बढ़ेगा.
मोहन लाल मीणा ने बताया कि जब भी किसी टाइगर की बात की जाती है तो टाइगर से पहले वहां पर अन्य वन्यजीव खासतौर पर हिरण होना बहुत जरूरी है. ऐसे में ग्रास लैंड डवलप करने और पानी की व्यवस्था की जरूरत है. अगर हिरण कम है तो दूसरे जंगलों से लाकर छोड़े जाएंगे. वन विभाग ने राज्य सरकार से 800 चीतल की परमिशन ली थी. भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क में करीब 3200 चीतल हैं. एनटीसीए से परमिशन ली गई है कि केवलादेव से करीब एक चौथाई यानी 500 चीतल मुकुंदरा टाइगर रिजर्व, 150 चीतल रामगढ़ और 150 चीतल कैला देवी सेंचुरी में छोड़े जाएंगे. इस तरह टाइगर रिजर्व में प्रेबेस बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा.
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सीडब्ल्यूएलडब्लू मोहन लाल मीणा ने बताया कि राजस्थान में पहली बार प्रयास किया जा रहा है कि जंगलों से हिरण और चीतल लाकर टाइगर रिजर्व में छोड़े जाएंगे. इस बात का भी अनुभव नहीं है कि प्राकृतिक वातावरण से वन्यजीवों को लाकर दूसरी जगह छोड़ा जाए. इसके लिए वन विभाग की टीम को पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश प्रशिक्षण के लिए भेजा गया है.
मध्यप्रदेश में बूमा टेक्निक के तहत हिरणों को बिना ट्रेंकुलाइज किए ट्रांसपोर्टेशन व्हीकल की स्पेशल डिजाइन करके उसके माध्यम से दूसरी जगह पर छोड़ा जाता है. बूमा टेक्निक के तहत वन्यजीवों को बिना ट्रेंकुलाइज किए एक स्थान से दूसरे स्थान पर सावधानीपूर्वक रिलीज कर दिया जाता है. इस टेक्निक का प्रशिक्षण लेने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों को मध्यप्रदेश भेजा गया है. भरतपुर और मुकुंदरा की टीम को भेजकर प्रशिक्षण कराया गया है. जल्द ही वन्यजीवों को शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू होगी. राजस्थान में वन्यजीवों का ट्रांसपोर्टेशन करते समय मध्यप्रदेश की एक्सपर्ट टीम भी सहयोग करेगी.
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व तैयार होने से अब चार टाइगर रिजर्व हो जाएंगे. नया टाइगर रिजर्व बनने से बाघों का कुनबा भी बढ़ेगा और टेरिटोरियल फाइट पर भी लगाम लगेगी. टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने से वन्यजीव प्रेमियों में भी खुशी की लहर है.