राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

हनुमानगढ़ की दो पहली महिला ऑटो चालक की कहानी

पूरे देश में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. वहीं, हनुमानगढ़ की रहने वाली दो महिलाओं की कहानी लोगों के लिए प्रेरणा है. ये महिलाएं शहर में ऑटो चलाने का काम करती है. ये महिलाएं हनुमानगढ़ की पहली ऑटो चालक महिलाएं है. पढ़िए महिलाओं के संघर्ष की कहानी...

हनुमानगढ़ की ताजा हिंदी खबरें,International Women's Day
हनुमानगढ़ की दो पहली महिला ऑटो चालकों की संघर्ष की कहानी

By

Published : Mar 8, 2021, 3:41 PM IST

हनुमानगढ़. राजकुमारी और भावना का संघर्ष किसी कहानी से कम नहीं है. काफी समय पहले राजकुमारी के पति की मौत हो गई और भावना के पति उसे छोड़कर चले गए. जिसके बाद इन पर दुखों का पहाड़ टूट गया, लेकिन दोनों ने हिम्मत नहीं हारी या यूं कहें कि छोटे-छोटे बच्चों की भूख ने इनको और अधिक संघर्षशील बना दिया और इन्होंने ऑटो रिक्शा चलाने का काम करने का निर्णय लिया.

हनुमानगढ़ की दो पहली महिला ऑटो चालकों की संघर्ष की कहानी

इस निर्णय की भी खास वजह थी

भावना पहले चिनाई मिस्त्री का कार्य कर बच्चे का पालन-पोषण कर रही थी, लेकिन इस काम मे 10 माह के बच्चे को वो समय नहीं दे पा रही थी और उसने ऑटो चलाने का निर्णय लिया ताकि वे जब चाहे अपने बच्चे को घर जाकर संभाल सके. यही कहानी राजकुमारी की है. जिसने काफी जगह काम किया लेकिन कम पैसे और अधिक मेहनत की वजह से ऑटो चलाना शुरू कर दिया.

ऑटो चलाने वाली महिला की कहानी

पढ़ें-हनुमानगढ़: विवादों में रहे पंजाबी कलाकार ने किसान सभा को लेकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस

इनके इस कार्य चुनने पर इनको सम्मानित भी किया जा चुका है. हलांकि पुरुष प्रधान समाज में ये इतना आसान नहीं जितना लगता था. उन्हें आज भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. एक महिला के लिए ऑटो रिक्शा चलाना मुश्किल तो था, लेकिन नामुमकीन नहीं था. ये इन दोनों ने साबित कियाव आज दोनो खुद का ऑटो रिक्शा चलाती हैं. अगर महिलाएं मजबूत होंगी तो समाज में बराबरी का महौल अपने आप पैदा हो जाएगा. ऑटो रिक्शा चलाकर दोनों प्रतिदिन करीब 400-400 रुपए कमाती हैं अपने बच्चों का पालन-पोषण कर इज्जत की जिंदगी जी रही है.

ऑटो चलाने वाली महिलाओं का किया गया सम्मान

ABOUT THE AUTHOR

...view details