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रतनपुर बॉर्डर से राजस्थान पहुंचे 70 हजार से ज्यादा लोग, डूंगरपुर लौटे 4 हजार लोगों ने बढ़ाई प्रशासन की चिंता

कोरोना वायरस के वजह से राजस्थान-गुजरात का रतनपुर बॉर्डर को बंद कर दिया गया था. ऐसे में इस बॉर्डर के खुलते ही प्रवासी मजदूरों का पलायन भी शुरू हो गया. वहीं डूंगरपुर जिले में 4 हजार लोग पहुंचे है. ऐसे में प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए सभी की जांच करके उन्हें क्वॉरेटाइन कर दिया हैं.

Migrants arrived from Ratanpur border, रतनपुर बॉर्डर से राजस्थान पहुंचे प्रवासी
डूंगरपुर लौटे 4 हजार प्रवासी

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Published : May 8, 2020, 5:10 PM IST

डूंगरपुर. कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए पूरे देश में लॉकडाउन हैं. ऐसे में इस लॉकडाउन के वजह से बंद राजस्थान-गुजरात का रतनपुर बॉर्डर भी बंद था. लेकिन जैसे ही प्रशासन ने रतनपुर बॉर्डर को खोला, वैसे ही पिछले 11 दिनों में 70 हजार से ज्यादा लोग बॉर्डर से राजस्थान पहुंचे. इसमें से अकेले डूंगरपुर जिले में 4 हजार लोग आए है, जो प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण बने हुए हैं.

डूंगरपुर लौटे 4 हजार प्रवासी

डूंगरपुर जिले में गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के हॉटस्पॉट सहित अन्य क्षेत्रों से 4 हजार से अधिक प्रवासी आए हैं. ऐसे में जिला प्रशासन इस मामले में पूरी तरह से गंभीर नजर आ रहा हैं. बाहर से आए प्रवासियों की बोर्डर पर स्क्रीनिंग के बाद सभी को होम क्वॉरेंटाइन किया गया हैं. वहीं जिला प्रशासन ने इन सभी पर निगरानी के लिए विशेष व्यवस्था भी की हैं.

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जिला कलेक्टर कानाराम ने बताया कि अभी तक रतनपुर बार्डर से 70 हजार प्रवासी आ चुके है. इसमें से 4 हजार लोग डूंगरपुर जिले के हैं. वहीं डूंगरपुर में आए सभी प्रवासियों पर विशेष निगरानी रखी जा रही हैं.

प्रवासी ने बढ़ाई प्रशासन की चिंता

कलेक्टर ने बताया कि बाहर से आए सभी लोगों के मोबाइल पर आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करवाया गया है. जिसके माध्यम से उन पर निगरानी रखी जा रही है. उन्होंने बताया कि सम्बंधित पंचायत का पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी के साथ उन पर निगरानी के लिए नेहरू युवा केन्द्र के युवा समन्वयकों, स्वयं सहायता समूह के सदस्यों, जनप्रतिनिधियों को भी जोड़ा गया हैं. वहीं इस मामले में पड़ोसियों का भी सहयोग लिया जा रहा हैं.

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उन्होने कहा कि कोई भी प्रवासी होम क्वॉरेटाइन के निर्देशों की अवहेलना करता है, तो उन्हें प्रशासन की और से तैयार क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहना होगा. साथ ही उन पर एपिडेमिक एक्ट में मामला भी दर्ज किया जाएगा.

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