धौलपुर/टोंक. पितृ पक्ष का शनिवार को समापन हो गया. इस दौरान जिले के ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड पार्वती और चंबल नदी में पितरों का आस्थापूर्वक तर्पण किया गया. इसी के साथ शुक्रवार से शुरू हुए करनागत का भी समापन होगा. पितृ पक्ष के 16 दिन की अवधि में पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मणों को भोजन कराकर श्राद्ध कर्म किए गए. ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
आचार्य कृष्णदास ने बताया कि इसका उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में भी किया गया है. देव पूजा से पहले जातक को अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए. पितरों के प्रसन्न होने पर देवता भी प्रसन्न होते हैं. यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में जीवित रहते हुए घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान और मृत्योपरांत श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. इसके पीछे यह मान्यता भी है कि यदि विधिनुसार पितरों का तर्पण न किया जाए तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती और उनकी आत्मा मृत्युलोक में भटकती रहती है. पितृ पक्ष को मनाने का ज्योतिषीय कारण भी है.
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ज्योतिषशास्त्र में पितृ दोष काफी अहम माना जाता है. जब जातक सफलता के बिल्कुल नजदीक पंहुचकर भी सफलता से वंचित होता हो, संतान उत्पत्ति में परेशानियां आ रही हों, धन हानि हो रही हो तो ज्योतिषशास्त्र पितृ दोष से पीड़ित होने की प्रबल संभावनाएं होती हैं. इसलिए पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी पितरों की शांति आवश्यक मानी जाती है. शनिवार को पितृ पक्ष के आखिरी दिन लोगों ने जिले की ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड और चंबल नदी पर विधि विधान से पूजा-अर्चना व तर्पण कर अपने पितरों को विदाई दी. इसी साथ ही अब नवरात्र की भी शुरुआत होगी. ऐसे में धार्मिक अनुष्ठान व कार्यक्रम भी शुरू हो सकेंगे.