चूरू.'वेस्ट को बेस्ट' बनाने का अगर आपको नायाब तरीका सीखना है तो इसके लिए आपको चूरू के न्यायिक अधिकारी राजेश कुमार दड़िया से मिलना होगा, जिन्होंने शून्य लागत में नीम के करीब दो हजार पौधे तैयार कर दिए. अक्सर बारिश के बाद सड़कों पर जमा होने वाला बरसाती पानी सड़क पर चलने वाले राहगीरों के लिए समस्या का कारण बन जाता है. इतना ही नहीं, शासन-प्रशासन को इस जमा हुए बरसाती पानी को लेकर लोग खूब कोसते हैं, लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि सड़क पर जमा हुए बरसाती पानी को किसी ने सड़क से साफ कर अपने घर में इसे वेस्ट पानी के रूप में संग्रहण किया हो. कुछ ऐसी ही कहानी है न्यायिक अधिकारी राजेश कुमार दड़िया की.
अधिकारी का नायाब तरीका... दरअसल, चूरू में न्यायिक अधिकारी ने वो कर दिखाया जो लोगों को तो प्रेरणा देने वाला है ही, साथ ही उन लोगों को भी सीख देगा जो गली-मोहल्लों की हर समस्या का जिम्मेदार प्रशासन को ठहराते हैं. चूरू के न्यायिक अधिकारी का प्रकृति के प्रति प्रेम कहें या समर्पण, लगाव कहें या अपनापन, उन्होंने ना सिर्फ एक ऐसा कार्य किया है जो लोगों के लिए मिसाल बन गया, बल्कि प्रशासन को भी 'वेस्ट को बेस्ट' बनाने का आइडिया दे दिया.
यह भी पढ़ेंःस्पेशल: रंग लाई Etv Bharat की मुहिम, जागरूकता से प्रभावी हो रहा पौधारोपण अभियान
वेस्टेज से ऐसे तैयार किए दो हजार पौधे...
न्यायिक अधिकारी राजेश कुमार दड़िया का 'वेस्ट को बेस्ट' बनाने का सफर काफी रोमांचित है. वेस्ट को बेस्ट बनाने की शुरुआत तब हुई, जब शहर में हुई बारिश के बाद उनके सरकारी आवास के बाहर से गुजरने वाली सड़क पर बरसाती पानी जमा हो गया. बरसाती पानी से गुजरने वाले लोगों की समस्या को देख उन्होंने जब जिला कलेक्टर डॉ. प्रदीप के गावड़े को मौके पर बुलाकर समस्या से अवगत करवाया. ऐसे में कलेक्टर ने आश्वासन तो दे दिया लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ.
न्यायिक अधिकारी राजेश कुमार दड़िया यह भी पढ़ेंःSPECIAL: जैतून के फल बने किसान की आय का नया स्त्रोत, कम बारिश वाले इलाकों में इस साल बंपर पैदावार
जब दड़िया ने चूरू नगर परिषद से संपर्क किया तो परिषद ने टैंक सहित अपनी एक टीम मौके पर भेजी. पानी सड़क से तो साफ कर दिया, लेकिन जब मौके पर पहुंची नगर परिषद की इस टीम से न्यायिक अधिकारी ने पूछा कि आप इस पानी का क्या करोगे तो उनका जवाब था, शहर से बाहर ले जाकर कहीं बहा देंगे. परिषद की टीम का जवाब सुनकर न्यायिक अधिकारी ने सड़क पर भरे बरसाती पानी को अपने सरकारी आवास के पीछे खाली पड़ी भूमि पर डलवा लिया और उसमें सरकारी आवास में लगे नीम के पेड़ से झड़ी एकत्रित कर निबौलियों को उसी में डाल दिया.
देखते ही देखते कुछ दिनों में अंकुरित होकर फूटी निबौलियों ने पौधे का रूप धारण कर लिया और कुछ ही दिन में ही वेस्टेज से करीब दो हजार नीम के पौधे तैयार हो गए. इन पौधों के तैयार होने के बाद न्यायिक अधिकारी ने इनको वन विभाग को सुपुर्द करने की इच्छा जाहिर की. फिलहाल, वन विभाग ने पौधों को अधिग्रहित कर लिया है. साथ ही आगामी सीजन में इन पौधों को वितरण करने की भी बात कही है.