चूरू. जिले के रामसरा गांव के एडवोकेट रामेश्वर प्रजापति पिछले 15 सालों से गांव के करीब डेढ़ सौ परिवारों को जैविक सब्जियां निशुल्क बांट रहे हैं. तो वही हर साल करीब 10 हजार रुपए से ज्यादा के निशुल्क बीज भी लोगों को बांट रहे हैं. इसके पीछे प्रजापति का मकसद है कि आज बाजार में जहां हर कोई दूषित और कीटनाशक युक्त सब्जियां खरीदने व खाने को मजबूर है. वे जैविक सब्जियों का इस्तेमाल शुरू करें और अपने घर में ही किचन गार्डन के रूप में सब्जियां उगा कर पैसों की बचत कर सके.
प्रजापति ने इस अभियान को नाम दे रखा है कि 'हर खेत खेजड़ी हर खेत तुरही'.इनकी सब्जियां ज्यादातर बारिश के मौसम में होने वाली है. ऐसे में उन्हें पानी देने की भी आवश्यकता नहीं होती और बिना खाद बीज के भी ही पैदावार हो जाती है.
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इन सब्जियों की कुछ अलग विशेषताएं है जैसे-
- यह सब्जियां ज्यादातर बारिश के मौसम में होती है.
- पेड़ों पर बेलदार सब्जियां लगाने का समय बारिश का मौसम में रहता है.
- बेलदार सब्जी में परवल धुंधरी, सेम फली, करेला व तोरई की सब्जियां साल भर में 2 बार फल देती हैं.
- वह एक बार लगाने के बाद में 5 साल तक यह सब्जियां उत्पादन देती है.
- बारानी क्षेत्र के खेतों में रोहिडा, खेजड़ी, शीशम, कंकड़ा, खैरी व कीकर जैसे कई पेड़ों पर बेलदार सब्जियां लगा सकते हैं.
- सेम फली खेजड़ी पर, करेला कंकेडे पर, और परवल झाड़ी पर सबसे ज्यादा उपज देती हैं.
- इन सब्जियों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है.
- इन सब्जियों को उगाने के लिए खाद की भी आवश्यकता नहीं होती है.
- देशी तोरई कम बारिश में भी सबसे ज्यादा उपज देती है.