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वकील रामेश्वर .....15 सालों से बांट रहें हैं, निशुल्क सब्जियां और बीज... - rameshwar prajapati

चूरु जिले के रामसरा गांव के एडवोकेट रामेश्वर प्रजापति पिछले 15 साल से गांव के करीब डेढ़ सौ परिवारों को निशुल्क जैविक सब्जियां बांट रहे हैं.प्रजापति ने इस अभियान को नाम दे रखा है कि 'हर खेत खेजड़ी हर खेत तुरही'.साथ ही घर-घर जाकर वो लोगों को निशुल्क बीज भी बांटते हैं.

चूरु के रामेश्वर प्रजापति 15 सालों से गांव के लोगों को निशुल्क सब्जी व बीज बांटते हैं.

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Published : Jul 26, 2019, 9:50 AM IST

चूरू. जिले के रामसरा गांव के एडवोकेट रामेश्वर प्रजापति पिछले 15 सालों से गांव के करीब डेढ़ सौ परिवारों को जैविक सब्जियां निशुल्क बांट रहे हैं. तो वही हर साल करीब 10 हजार रुपए से ज्यादा के निशुल्क बीज भी लोगों को बांट रहे हैं. इसके पीछे प्रजापति का मकसद है कि आज बाजार में जहां हर कोई दूषित और कीटनाशक युक्त सब्जियां खरीदने व खाने को मजबूर है. वे जैविक सब्जियों का इस्तेमाल शुरू करें और अपने घर में ही किचन गार्डन के रूप में सब्जियां उगा कर पैसों की बचत कर सके.

15 साल से जैविक सब्जियां निशुल्क बांट रहे हैं एडवोकेट रामेश्वर प्रजापति

प्रजापति ने इस अभियान को नाम दे रखा है कि 'हर खेत खेजड़ी हर खेत तुरही'.इनकी सब्जियां ज्यादातर बारिश के मौसम में होने वाली है. ऐसे में उन्हें पानी देने की भी आवश्यकता नहीं होती और बिना खाद बीज के भी ही पैदावार हो जाती है.

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इन सब्जियों की कुछ अलग विशेषताएं है जैसे-

  • यह सब्जियां ज्यादातर बारिश के मौसम में होती है.
  • पेड़ों पर बेलदार सब्जियां लगाने का समय बारिश का मौसम में रहता है.
  • बेलदार सब्जी में परवल धुंधरी, सेम फली, करेला व तोरई की सब्जियां साल भर में 2 बार फल देती हैं.
  • वह एक बार लगाने के बाद में 5 साल तक यह सब्जियां उत्पादन देती है.
  • बारानी क्षेत्र के खेतों में रोहिडा, खेजड़ी, शीशम, कंकड़ा, खैरी व कीकर जैसे कई पेड़ों पर बेलदार सब्जियां लगा सकते हैं.
  • सेम फली खेजड़ी पर, करेला कंकेडे पर, और परवल झाड़ी पर सबसे ज्यादा उपज देती हैं.
  • इन सब्जियों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है.
  • इन सब्जियों को उगाने के लिए खाद की भी आवश्यकता नहीं होती है.
  • देशी तोरई कम बारिश में भी सबसे ज्यादा उपज देती है.

ऐसे बोए जाते हैं बीज-
पहली बार पेड़ के नीचे सूखे में बीज बोए जाते हैं .जो बारिश आने पर उग सकते हैं.दूसरी बार खेत में जुताई के समय व तीसरी बार पेड़ के नीचे खरपतवार निकालते समय और चौथी बार पहली बारिश होने के साथ हाथ से बीजों को रोपा जाता है. ऐसे में यह सब्जियां चार बार उगाने का मौका मिलता है.
रामेश्वर प्रजापति का कहना है कि ज्यादातर समय सब्जियों के बीज वें अपने पास ही रखते हैं और जिस घर में भी जाते हैं, वहीं उन्हें बीज दे देते हैं. पिछली बार ढा़ई हजार परिवारों तक बीज पहुंचाया हैं. जबकि इस बार 5 हजार परिवारों तक बीज पहुंचाने का उनका लक्ष्य है.

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इस बारे में रामेश्वर प्रजापति का कहना है कि हर गांव के व्यक्ति खेतों में इस तरह की सब्जियां लगाए तोलोगों को शुद्ध सब्जी मिल सकेगी. साथ ही सब्जियों के आसमान छूते भावों में गिरावट भी आएगी. इस प्रकार से सब्जियां उगाने से मार्केट में दूषित और कीटनाशक सब्जियां जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो रही है उनसे भी बचा जा सकेगा.

ग्रामीण और रिटायर्ड आयुर्वेद चिकित्सक गोविंद शर्मा का कहना है की रामेश्वर प्रजापति का लक्ष्य है कि हर परिवार शुद्ध जैविक सब्जी खाए इसके लिए निशुल्क बीज वितरण करते हैं. अब गांव के लोग भी उनसे मोटिवेट हो रहे हैं.

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