चित्तौड़गढ़. राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के सीताफल की मिठास का लुत्फ अब कई राज्यों के लोग उठा रहे हैं. जानकारी में सामने आया कि विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग करीब 14 किलोमीटर में फैला हुआ है. इस दुर्ग की पहाड़ी पर जगह-जगह सीताफल के पेड़ लगे हुए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां सीताफल के पेड़ की बुवाई किसी ने नहीं की है. लंबे समय से यह पेड़ चित्तौड़ दुर्ग पर देखे जा रहे हैं तथा इसके पेड़ लगातार आगे की तरफ फैलते जा रहे हैं.
ऐसे में इन पेड़ों पर हर वर्ष सर्दी की शुरुआत के साथ ही सीताफल की फसल आ जाती है. चित्तौड़ दुर्ग पर बड़ी संख्या कुंड एवं बावडियां होने के कारण सीताफल के पेड़ों को पानी भी पर्याप्त मात्रा में मिलता रहता है. ऐसे में इन सीताफल की मिठास ही इनकी पहचान बन कर रह गई है. मिठास के कारण ही अन्य स्थानों के मुकाबले चित्तौड़ दुर्ग के सीताफल की मांग अधिक रहती है. यहां करीब 2 महीने ही सीताफल आते हैं, लेकिन यहां दुर्ग पर आने वाले देश-विदेश के पर्यटकों को काफी रास आते हैं.
इसके अलावा चित्तौड़गढ़ शहर से बाहर प्रदेश के अन्य जिलों तथा राज्यों में भी सीताफल की मांग रहती है. पूर्व में जो अधिकारी चित्तौड़गढ़ में रह चुके हैं वह अपने परिचित से सीताफल जरूर मंगवाते हैं. यही कारण है कि इन दिनों लगातार सीताफल पार्सल में पैक कर बाहर भिजवाए जा रहे हैं. चित्तौड़गढ़ शहर में इन दिनों आलम यह है कि अन्य स्थानों से सीताफल मंगवा कर भी चित्तौड़ दुर्ग के सीताफल बताकर बेचे जा रहे हैं और लोग बिना पूछताछ एवं जानकारी के आराम से सीताफल खरीद कर ले जा रहे हैं.
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बताया जा रहा है कि इस वर्ष सर्दी का मौसम थोड़ा देरी से आया और बरसात भी कम हुई थी. ऐसे में सीताफल की फसल थोड़ी कमजोर हुई है. कम उत्पादन के बावजूद भी सीताफल की अच्छी मांग है. बरसात कम होने का एक असर यह भी हुआ कि सीताफल अन्य वर्षों के मुकाबले इस वर्ष आकार में भी थोड़े छोटे हैं. इसके बावजूद सीताफल पेड़ से टूटने के साथ ही बिक्री में खत्म भी हो रहे हैं.