चित्तौड़गढ़. जिले में मानसून की बेरुखी ने किसानों को चिंता में डाल दिया है. पूरा अगस्त महीना सूखा बीत गया. वर्तमान में फसलों में फल-फूल की ग्रोथ का समय चल रहा है और बारिश नहीं होने से फसलें मुरझाने के कगार पर हैं. कृषि विभाग द्वारा कराए गए प्रारंभिक सर्वे में एक तिहाई खराबे का अनुमान लगाया गया है. अगले एक सप्ताह में बारिश नहीं हुई, तो खाद बीज के नुकसान की भरपाई भी मुश्किल हो सकती है. फिलहाल, विभाग द्वारा किसानों को पानी की कमी को देखते हुए फसलों से खरपतवार को हटाने की सलाह दी गई है.
50000 हेक्टर मक्का की फसल खराब: कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस बार खरीफ सीजन में करीब 1 लाख 50 हजार हेक्टर में मक्का की बुवाई की गई थी. बुवाई के कुछ समय बाद ही एक कीट का प्रकोप हुआ. हालांकि किसानों ने उस पर कंट्रोल कर लिया, लेकिन पानी की जरूरत के समय बारिश दगा दे गई. नतीजा यह निकला कि विभाग द्वारा प्रारंभिक सर्वे में 30 से लेकर 35% तक फसल खराबी का अनुमान लगाते हुए राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी गई. विभाग द्वारा करीब 50000 हेक्टर मक्का की फसल खराब होने का अनुमान लगाया गया है.
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सोयाबीन की सांसे अटकी: मक्का के बाद चित्तौड़गढ़ जिले में किसानों का रुझान सोयाबीन पर अधिक रहा और करीब 1 लाख 9 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में सोयाबीन बोया गया. पानी की कमी के कारण सोयाबीन की फसल सूखती जा रही है. अब तक एक तिहाई फसलों के खराब होने की आशंका जताई गई है. कुल मिलाकर लगभग 35000 हेक्टर क्षेत्रफल सोयाबीन खराब होना माना गया है. कृषि विभाग के अनुसार ज्वार, बाजरा, मूंग, उड़द, चावल, तिल, मूंगफली आदि फसलों में भी 30 से लेकर 35% खराबा बताया गया है. इसके चलते प्रोडक्शन में गिरावट की आशंका जताई जा रही है.