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हलक में अटकी फसलों की जान, 35 फीसदी हुआ खराबा, उठी गिरदावरी की मांग - एक तिहाई फसलों में खराबा

चित्तौड़गढ़ में मानसून की बेरुखी से फसलों को खासा नुकसान हुआ है. कृषि विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार एक तिहाई फसलों में खराबा हुआ है.

one third crops damaged in Chittorgarh
फसलों को खासा नुकसान

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 7, 2023, 5:08 PM IST

Updated : Sep 7, 2023, 8:01 PM IST

चित्तौड़गढ़ में एक तिहाई फसलों में खराबा

चित्तौड़गढ़. जिले में मानसून की बेरुखी ने किसानों को चिंता में डाल दिया है. पूरा अगस्त महीना सूखा बीत गया. वर्तमान में फसलों में फल-फूल की ग्रोथ का समय चल रहा है और बारिश नहीं होने से फसलें मुरझाने के कगार पर हैं. कृषि विभाग द्वारा कराए गए प्रारंभिक सर्वे में एक तिहाई खराबे का अनुमान लगाया गया है. अगले एक सप्ताह में बारिश नहीं हुई, तो खाद बीज के नुकसान की भरपाई भी मुश्किल हो सकती है. फिलहाल, विभाग द्वारा किसानों को पानी की कमी को देखते हुए फसलों से खरपतवार को हटाने की सलाह दी गई है.

50000 हेक्टर मक्का की फसल खराब: कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस बार खरीफ सीजन में करीब 1 लाख 50 हजार हेक्टर में मक्का की बुवाई की गई थी. बुवाई के कुछ समय बाद ही एक कीट का प्रकोप हुआ. हालांकि किसानों ने उस पर कंट्रोल कर लिया, लेकिन पानी की जरूरत के समय बारिश दगा दे गई. नतीजा यह निकला कि विभाग द्वारा प्रारंभिक सर्वे में 30 से लेकर 35% तक फसल खराबी का अनुमान लगाते हुए राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी गई. विभाग द्वारा करीब 50000 हेक्टर मक्का की फसल खराब होने का अनुमान लगाया गया है.

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सोयाबीन की सांसे अटकी: मक्का के बाद चित्तौड़गढ़ जिले में किसानों का रुझान सोयाबीन पर अधिक रहा और करीब 1 लाख 9 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में सोयाबीन बोया गया. पानी की कमी के कारण सोयाबीन की फसल सूखती जा रही है. अब तक एक तिहाई फसलों के खराब होने की आशंका जताई गई है. कुल मिलाकर लगभग 35000 हेक्टर क्षेत्रफल सोयाबीन खराब होना माना गया है. कृषि विभाग के अनुसार ज्वार, बाजरा, मूंग, उड़द, चावल, तिल, मूंगफली आदि फसलों में भी 30 से लेकर 35% खराबा बताया गया है. इसके चलते प्रोडक्शन में गिरावट की आशंका जताई जा रही है.

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फल-फूल के समय मानसून ने मुंह मोड़ा:सिंचाई विभाग के अनुसार मानसून के 3 महीनों में अब तक औसत की 58% बारिश हो पाई है. सबसे बड़ी चिंता तो यह है कि अगस्त महीना पूरी तरह से रीता ही निकल गया. छिटपुट बारिश के अलावा जिले में कहीं पर भी जरूरत के हिसाब से बारिश नहीं हो पाई. वर्तमान समय में फसलों में फल-फूल की प्रोसिडिंग चल रही है. बारिश के अभाव में फल-फूल की ग्रोथ कम होने से पैदावार में गिरावट की आशंका जताई गई है.

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कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक दिनेश कुमार जागा ने बताया कि मुख्यालय के निर्देश पर फसली नुकसान का लगातार सर्वे चल रहा है. प्रारंभिक रिपोर्ट में 30 से 35 फीसदी खराबा सामने आया है. संबंधित रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई. वहीं हर सप्ताह रिपोर्ट भेज कर सरकार को नुकसान से अवगत कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अगले एक सप्ताह में बारिश नहीं होने पर खराबे का ग्राफ चिंता बढ़ा सकता है. फिलहाल किसानों को सिंचाई के साथ-साथ खरपतवार हटाना चाहिए ताकि नमी वेस्टेज नहीं हो पाए.

विधायक आक्या ने रखी गिरदावरी की मांग:मानसून की बेरुखी को देखते हुए चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने मानसून की बेरुखी पर चिंता जताते हुए कहा कि फसले पूरी तरह से चौपट हो गई है. किसानों के सामने खाद-बीज की कीमत निकालना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को तत्काल प्रभाव से गिरदावरी करवाकर किसानों को समुचित मुआवजा किया जाना चाहिए.

Last Updated : Sep 7, 2023, 8:01 PM IST

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