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अयोध्या में चितौड़गढ़ के कारसेवकों ने भी लिया था भाग, पुराने Photos देख हुए भावुक - भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण

अयोध्या में साल 1990 और 1992 में कारसेवा शुरू की गई थी. इस कारसेवा में चितौड़गढ़ से भी काफी संख्या में कारसेवक पहुंचे थे और अपना योगदान दिया था. इनमें से कुछ का निधन हो गया है तो कइयों का भगवान श्रीराम के मंदिर बनते देखने का सपना पूरा हो रहा है.

चितौड़गढ़ समाचार, Chittorgarh news
पुराने Photo देख भावुक हुए कारसेवक

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Published : Aug 4, 2020, 10:30 PM IST

चितौड़गढ़.अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर बुधवार को प्रधानमंत्री भूमि पूजन करेंगे. यह पल वाकई में ऐतिहासिक होने वाला है. अयोध्या में साल 1990 और 1992 में कारसेवा शुरू हुई थी, इसमें चितौड़गढ़ जिले से भी काफी संख्या में कारसेवक पहुंचे थे और अपना योगदान दिया था. ये सभी राम मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या पहुंचे थे.

पुराने Photo देख भावुक हुए कारसेवक

इनमें से कुछ का निधन हो गया हैं तो कइयों का भगवान श्रीराम के मंदिर बनते देखने का सपना पूरा हो रहा है. आज भी कई कार सेवकों के पास उस समय की यादें मौजूद हैं. वर्तमान समय में ये कार सेवक उस पल को याद कर और ऐतिहासिक राम मंदिर निर्माण का सपना सच होता देख भावुक हो रहे हैं. मंदिर के भूमि पूजन को लेकर जिले और जिला मुख्यालय पर भी कई आयोजन होंगे.

60 किलोमीटर पैदल चल कर पहुंचे थे अयोध्या

कार सेवा के दौरान चितौड़गढ़ जिले के बजरंग दल संयोजक श्यामलाल दोसाया के नेतृत्व में कारसेवकों का जुलूस निकाल कर अयोध्या के लिए कूच किया था. उन पलों को याद करते हुए श्यामलाल दोसाया ने बताया कि कारसेवा में जब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह थे, तब 400 कारसेवक गए थे.

सभी यहां से पहले लखनऊ गए. उसके बाद गोंडा से अयोध्या 50 किलोमीटर दूर है. यह दूरी सभी ने पैदल चलकर 3 रात और 2 दिन में इसे पार किया. सभी कारसेवकों को सरयू पुलिया पर रोका जा रहा था. यहां गिरफ्तारियां दी जा रही थी. लेकिन हम 13 ने गिरफ्तारी नहीं दी और किसी तरह श्यामलाल दोसाया, बाबूलाल शर्मा, अशिवक्ता वृद्धिचंद जैन, जगदीश गंगवाल, रमेशचंद्र जड़िया आदि अयोध्या पहुंच गए.

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सरकार की ओर से आगे सेना लगा रखी थी, जिससे हम आगे नहीं बढ़ पाए. बस की आड़ से गोलियां चल रही थी. यहां सभी 13 को गिरफ्तार कर लिया और गोंडा लाया गया. यहां स्कूल में अस्थाई जेल थी, जिसमें एक दिन रखा गया और अगले दिन बस में बैठाकर लखनऊ छोड़ दिया गया.

फोटो के रूप में आज भी ताजा यादें

जानकारी में सामने आया कि उस समय हुई कारसेवा के फोटो आज भी श्यामलाल असावा के पास है. इनमें बाबरी को ढहाने से लेकर चितौड़गढ़ से रवाना होने, अयोध्या जाने, कारसेवा और सभा से लेकर स्वागत तक की यादें फोटो के रूप में मौजूद हैं. राम मंदिर निर्माण शुरू होने के एक दिन पहले उन्होंने इन फोटो को निकाल कर यादों को ताजा किया.

जुनून ऐसा कि 17 साल की उम्र में पहुंच गए कारसेवा करने

अयोध्या में शुरू हुई कार सेवा को लेकर छोटे-बड़े सभी में जुनून था. चित्तौड़ दुर्ग से भी करीब 15 लोग कार सेवा के लिए पहुंचे थे. इसमें 17 वर्षीय अखिलेश टेलर भी शामिल था. अखिलेश ट्रेलर दुर्ग निवासियों के साथ प्रथम कार सेवा में अयोध्या पहुंचा था. इसके जज्बे को देखकर हर किसी ने आश्चर्य जताते हुए इसका उत्साहवर्धन भी किया. अखिलेश टेलर चितौड़गढ़ से कार सेवा में जाने वालों में सबसे कम उम्र का था.

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