चित्तौड़गढ़. प्रदेश में गहलोत सरकार के शासन को दो साल बीत गए हैं. इस अवधि में अब तक कई राजनीतिक पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पाई है. चित्तौड़गढ़ में भी यूआईटी चेयरमेन के पद पर राजनीतिक पार्टी से नियुक्त होने वाले अध्यक्ष का इंतजार है. इस अवधि में जिला कलेक्टर ही यूआईटी का कार्यभार संभाले हुए हैं.
चित्तौड़गढ़ में नियुक्तियों का इंतजार हुआ लंबा बता दें कि चित्तौड़गढ़ में 9 बार यूआईटी चेयरमैन बदले गए हैं. जिनमें से 7 बार तो जिला कलेक्टर ही चेयरमेन रहें हैं. केवल 2 बार राजनीतिक दल के प्रतिनिधि चेयरमेन बने हैंं. जो की भाजपा से थे. दो साल से प्रदेश में कांग्रेस का शासन है लेकिन अब तक कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्ति का इंतजार है.
जानकारी के अनुसार अशोक गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में प्रदेश के कई जिला मुख्यालयों पर नगर विकास न्यास (यूआईटी) की घोषणा हुई थी. तत्कालीन जिला कलेक्टर रवि जैन 12 अप्रैल 2013 को पहले यूआईटी चेयरमैन बने थे. उसके कुछ माह बाद ही विधानसभा चुनाव होने थे. ऐसे में यूआईटी बनने के साथ ही यहां सत्ताधारी दल की ओर से अपने प्रतिनिधि की नियुक्ति नहीं की गई. जिसके बाद में विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा की सरकार बनी. भाजपा ने भी एक साल से अधिक समय निकालने के बाद अध्यक्ष पद पर निर्मल काबरा की 13 जुलाई 2016 को नियुक्ति की. इससे पहले जिला कलक्टर रवि जैन, वेद प्रकाश और इंद्रजीतसिंह अध्यक्ष रहे. जिसके बाद में निर्मल काबरा का बीमारी के बाद निधन होने से फिर पद खाली हो गया. इस पर तत्कालीन जिला कलेक्टर इंद्रजीतसिंह 9 मार्च 2018 को फिर चित्तौड़गढ़ यूआईटी चेयरमैन नियुक्त हुए.
7 बार जिला कलेक्टर ही बने युआईटी चेयरमैन
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले भाजपा सरकार ने 25 अगस्त 2018 को सुरेश झंवर को यूआईटी चेयरमैन बनाया. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी. कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही एक आदेश जारी कर भाजपा सरकार में नियुक्त किए यूआईटी चेयरमैन को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया. ऐसे में झंवर का कार्यकाल भी करीब चार माह का ही रहा और तत्कालीन जिला कलेक्टर 29 सितंबर 2019 को यूआईटी चेयरमैन बना दिए गए. ऐसे में अब तक करीब 8 साल की यूआईटी में 9 बार अध्यक्ष बदले हैं, जिनमें 7 बार जिला कलेक्टर अध्यक्ष रहें हैं.
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राजस्थान में सत्ता परिवर्तन को करीब 2 साल का समय होने आया है लेकिन चित्तौड़गढ़ में कार्यकर्ता राजनीतिक नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं. कई बार नियुक्ति को लेकर चर्चाएं चली लेकिन सरकार की और से इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया. चित्तौड़गढ़ विधायक पद पर कांग्रेस के सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत की हार हुई है लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी होने के कारण संगठन, सरकार और प्रशासन में काफी हस्तक्षेप रहता है. इस बारे में सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत से बात की गई तो उन्होंने बताया है कि पूरे प्रदेश में ही राजनीतिक नियुक्तियां होनी है. यह एक प्रक्रिया है, जिसे सरकार शीघ्र पूरा करेगी. अभी संगठनात्मक घोषणाएं भी नहीं हुई है. जिलाध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष सहित पूरी कार्यकारिणी की घोषणा की जाएगी.
सांवलियाजी में अब भी भाजपा का अध्यक्ष
जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ जिले में यूआईटी चेयरमैन के अलावा श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल अध्यक्ष पद पर भी राजनीतिक नियुक्ति बाकी है. यहां की घोषणा भी प्रदेश सरकार करती है. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन से पूर्व भाजपा सरकार ने वरिष्ठ कार्यकर्ता कन्हैयादास वैष्णव को नियुक्त किया था. दो साल के बाद भी अब भी भाजपा के कन्हैयादास वैष्णव आसीन हैं. सत्ता में होने के बावजूद कांग्रेस यहां कोई बदलाव नहीं कर पाई है. वहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता यहां भी राजनीतिक नियुक्ति के इंतजार में हैं. सरकार का आधा कार्यकाल होने आया है तो कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी देखने को मिल रही है लेकिन उपापोह में चल रही कांग्रेस सरकार में कांग्रेस कार्यकर्ता भी खुल कर खिलाफत नहीं कर पा रहे हैं.