जयपुर. कांग्रेस आलाकमान की ओर से लोकसभा चुनाव में नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं. दिल्ली से जारी आदेशों के मुताबिक नेताओं को अपने-अपने इलाकों में कांग्रेस प्रत्याशियों को बढ़त दिलवानी होगी. इस फरमान के बाद से प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में हड़कंप मचा हुआ है. इसमें भी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी मंत्रियों और विधायकों की तय की गई है कि वह अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशियों को बढ़त दिलाएं. नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रखने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और 26 प्रभारियों को यह जिम्मेदारी दी है.इसके अलावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी नेताओं की परफॉर्मेंस पर नजर रख रहे हैं.
'दिल्ली दरबार' के इस फरमान ने बढ़ाई राजस्थान कांग्रेस नेताओं की धड़कनें...जानें
लोकसभा चुनाव के रण में उत्तरी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की धड़कने तेज हैं. जिसका कारण इन दिनों दिल्ली दरबार से आया एक फरमान है. जिसमें नाकामयाब साबित होने पर उनके राजनीतिक भविष्य पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष के फरमान का असर केवल जीते हुए विधायकों और सरकार में मंत्रियों पर ही नहीं पड़ा है बल्कि विधानसभा चुनाव में हार झेल चुके नेता भी इसकी जद में आ गए हैं. दरअसल, कांग्रेस में पहले से एक नियम बना हुआ है कि लगातार दो बार चुनाव हारने वाले नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा. ऐसे में विधानसभा में चुनाव हारने के बाद अगर लोकसभा में फिर से उनकी विधानसभा में हार होती है तो उसे उस प्रत्याशी की हार में भी जोड़ा जाएगा. ऐसे में जब 4 साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे तो यह परफॉर्मेंस उस समय भी काउंट किया जाएगा. नेताओं के सामने यह चुनौती है कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी को जीत दिलाएं.
बता दें कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को राजस्थान से खासी उम्मीदें हैं. वैसे भी प्रदेश में 4 महीने पहले ही विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिसके चलते प्रदेश कांग्रेस को मिशन 25 का टारगेट दिया गया है. कांग्रेस अध्यक्ष राजस्थान को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ,उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को तीन बार दिल्ली बुला कर चुनावी तैयारियों का फीडबैक भी ले चुके हैं. जानकारों की मानें तो नेताओं की ओर से प्रत्याशियों को सहयोग नहीं करने की शिकायतें लगातार दिल्ली पहुंच रही थी. जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में नेताओं के परफॉर्मेंस पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं.