भीलवाड़ा. प्रदेश सरकार की झोली इस बार भीलवाड़ा की ओर से भरने का भरपूर प्रयास किया गया. प्रदेश में सबसे ज्यादा खान राजस्व देने में इस बार भी भीलवाड़ा अवव्ल रहा. इस साल भीलवाड़ा वित्तीय वर्ष 2018-19 में भीलवाड़ा खनिज अभियंता कार्यालय को 1289 करोड़ 27 लाख रुपए लक्ष्य मिला था. इसके मुकाबले 31 मार्च 2019 तक विभाग ने 942 करोड़ 94 लाख 52 हजार रुपए का लक्ष्य अर्जित किया. जो दिए गए लक्ष्य का 73.14 फ़ीसदी है. वहीं बिजोलिया खनिज अभियंता कार्यालय को इस बार 35 करोड़ 94 लाख रूपय का राजस्व लक्ष्य मिला था. जिसमें 33 करोड़ 55 लाख 41 हजार रूपये का लक्ष्य अर्जित कर लिया.
सरकार की झोली भरने में भीलवाड़ा रहा अव्वल...लक्ष्य का 73.14 फीसदी किया हासिल
राज्य सरकार की झोली में सबसे ज्यादा राजस्व भीलवाड़ा जिले से प्राप्त हुआ. भीलवाड़ा खान विभाग की ओर से 1395 करोड़ 58 लाख रुपए का लक्ष्य अर्जित किया जो दिए गए लक्ष्य के तहत अच्छा है.
भारतीय जिंक लिमिटेड की रही बड़ी भूमिका
खनिज अभियंता भीलवाड़ा कार्यालय को सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में 1289.27 करोड़ का वार्षिक लक्ष्य दिया. लक्ष्य पूरा करने में भारतीय जिंक लिमिटेड रामपुरा आगुचा की खान की बड़ी भूमिका रही. यह देश की सबसे बड़ी लेड उत्पादक कंपनी है. वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार को भीलवाड़ा खनिज अभियंता कार्यालय में 989 करोड़ 30 लाख रूपए का राजस्व अर्जित किया था. इसमें 883 करोड़ 64 लाख 99 हजार अकेले लेड और जिंक से रॉयल्टी मिली. यह राशि हिंदुस्तान जिंक आगूचा से मिली. इस बार हिंदुस्तान जिंक आगूचा माइंस 835 करोड़ 56 लाख मिले. लेकिन इस बार जिंक में ओपन माइन्स बंद होने के कारण गत वर्ष की तुलना में इस बार कम राजस्व मिला.
प्रदेश का 30 से 40 प्रतिशत राजस्व भीलवाड़ा से
सरकार को प्रदेश में खनिज विभाग से करीब 5500 करोड़ तक राजस्व मिलता है जबकि इस राजस्व का 35 से 40 फीसदी हिस्सा भीलवाड़ा से जमा होता है. यहां खदानें खूब है. जिंक और जिंदल जैसे ग्रुप की खदानें यहां हैं. वहीं ऊपर माल के नाम से प्रसिद्ध बिजोलिया क्षेत्र में सेंड स्टोन वह भीलवाड़ा जिले के करेड़ा क्षेत्र में ग्रेनाइट की खदानें हैं इसलिए भीलवाड़ा से अच्छा राज्य सरकार को राजस्व मिलता है. अब देखना यह होगा कि प्रदेश के अन्य जिलों से भी सरकार को अच्छा राजस्व मिलने लग जाए तो सरकार का खजाना कभी खाली नहीं रहे और प्रदेश का विकास उन्नति के साथ हो सके.