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बूंदी: झोलाछाप डॉक्टर ने छीनी युवक की जिंदगी, मामूली दर्द के इलाज में मौत

बूंदी में झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से एक और जान चली गई है. नीम का खेड़ा गांव में गलत इंजेक्शन और ग्लूकोज की बोतल चढ़ाने से युवक की मौत का मामला सामने आया है. पुलिस ने आरोपी झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

fake doctors treatment in bundi

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Published : Aug 9, 2019, 11:46 PM IST

बूंदी. जिले में झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानदारी पर लगाम नहीं लग रही है. आए दिन इनके इलाज से मरीजों की हालत बिगड़ने के मामले सामने आने के बाद भी इनके विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है. नतीजा यह रहा कि एक डॉक्टर के पास इलाज कराने पहुंचे युवक कि गलत इंजेक्शन और ग्लूकोज की बोतल लगाने से उसकी मौत हो गई. जानकारी के अनुसार बूंदी जिले के सदर थाना इलाके के नीम का खेड़ा निवासी रामलाल मेघवाल का पुत्र विजय मेघवाल की हाथ पैर दर्द होने पर उसे पिता रामलाल मेघवाल गांव में ही स्थित बंगाली डॉक्टर के यहां पर लेकर गया था.

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जहां बंगाली डॉक्टर ने उसे इंजेक्शन लगाया और एक ग्लूकोज की बोतल को चढ़ाया. यहां पर उसे आराम आने पर वापस से घर पर लेकर आ गए. कुछ देर बाद पिता खेत पर गया तो परिजनों की खबर आई कि उसका पुत्र वापस से चक्कर खा कर नीचे गिर गया है. ऐसे में पिता मौके पर पहुंचा तो उनका बेटा जमीन पर गिरा हुआ था और अचेत था. इस पर वापस झोलाछाप डॉक्टर के यहां लेकर गए तो उसने मृत घोषित कर दिया. इस घटना के बाद परिजन फूट-फूट के क्लीनिक पर ही रोने लगे. यहां पर परिजनों ने आरोपी से मौत का कारण पूछने पर कोई जवाब नहीं दिया. इस पर परिजनों ने क्लिनिक पर हंगामा कर दिया और जमकर विवाद खड़ा कर दिया.

झोलाछाप डॉक्टर ने ली युवक की जान

ऐसे में सूचना लगी तो सदर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जानकारी ली. वहीं पुलिस को देख आरोपी क्लिनिक सेंटर चलाने वाला बंगाली डॉक्टर मौके से फरार हो गया. जिसके बाद पुलिस ने युवक की डेड बॉडी को कब्जे में लेकर जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया. जहां पर परिजनों के द्वारा दी गई डॉक्टर के विरुद्ध रिपोर्ट पर मामला दर्ज किया और शव का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से करवाकर शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया है.

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गौरतलब है कि बूंदी जिले में लगातार झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानदारी बढ़ती जा रही है और इन दुकानदारी पर चिकित्सा विभाग कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहा. जिसके चलते आए दिन ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं. इसी नीमखेड़ा गांव की बात करें तो यह पहला मामला नहीं जब केस बिगड़ने पर झोलाछाप डॉक्टरों की इलाज से किसी की मौत हुई है. इससे पूर्व भी बच्चों की जान इन झोलाछाप डॉक्टरों की इलाज से जा चुकी है. यहां तीसरी मौत होने के बाद देखना होगा कि प्रशासन क्या इन झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानदारी पर लगाम कर पाता है या नहीं.

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