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ग्रामीणों की कोरोना से जंगः बूंदी के माटूंदा ग्राम पंचायत ने कैसे किया कोरोना से अपने गांव का बचाव, अब तक नहीं है एक भी केस...पढ़े पूरी खबर

बूंदी से 5 किलोमीटर दूर माटूंदा ग्राम पंचायत के ग्रामीण योद्धाओं ने योगाभ्यास कर के कोरोना से खुद का बचाव किया. साथ ही आयुर्वेदिक काढ़े से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाई. ग्रामीणों की जागरूकता का ही नतीजा है कि आज ये गांव कोरोना से बचा हुआ है.

बूंदी का माटूंदा ग्राम पंचायत, Matunda Gram Panchayat of Bundi
योग से लड़ी कोरोना की जंग

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Published : Jun 27, 2020, 6:03 PM IST

बूंदी.शहर से 5 किलोमीटर दूर बसा है माटूंदा ग्राम पंचायत. यहां के ग्रामीण योद्धाओं ने कोरोना काल में अपना अहम योगदान दिया देकर एक मिसाल पेश की है. ऐसा इसलिए कह रहें हैं क्योंकि ग्रामीणों ने कोरोना से बचने के लिए सरकार की एडवाइजरी का पालन तो किया ही, साथ ही में अन्य ग्रामीणों को योग के लिए भी प्रेरित किया. यहां पर ग्रामीण योद्धाओं ने एक ग्रुप तैयार किया है और गांव के लोगों को सुबह-शाम योग करने के लिए प्रेरित करते हैं.

यह ग्रामीण योद्धा रोज अपनी टीम को तैयार करते हैं और गांव में एक स्थान का चयन कर सरकार की एडवाइजरी का पालन करते हुए योग करते हैं. यहीं नहीं ग्रामीणों ने योग के साथ-साथ आयुर्वेदिक नुस्खे भी इस दौरान आजमाएं. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आए दिन ग्रामीण योद्धा ग्रामीणों को काढ़ा पीने और गिलोय का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं.

माटूंदा ग्राम पंचायत के ग्रामीणों की कोरोना से जंग

योग के लिए वीडियो दिखाकर किया प्रेरित

2 महीने से अधिक समय तक लगे लॉकडाउन के बीच सभी लोगों के काम धंधे ठप हो गए थे. माटूंदा ग्राम के लोगों को प्रेरित करने के लिए पूर्व सरपंच महेंद्र शर्मा ने अहम भूमिका निभाई है. महेंद्र शर्मा ने अपने परिवार के लोगों को मिलाकर एक टीम बनाया और योगाभ्यास शुरू किया. साथ ही अपनी योग वीडियो भी बनाई और ग्रामीणों को दिखाया. जिसके बाद महेंद्र शर्मा के साथ गांव के युवा भी जुड़ने लगे. युवाओं की टीम में ग्रामीणों से संपर्क किया और योग के बारे में बताया. जिसके बाद ग्रामीणों का एक बड़ा योगाभ्यास करना शुरू किया. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक हमारा शरीर अंदर से स्वस्थ्य नहीं होगा हम कोरोना से जीत नहीं पाएंगे.

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आयुर्वेदिक नुस्खे आजमाकर बढ़ाई प्रतिरोधक क्षमता

ग्रामीण योद्धाओं ने योग के साथ-साथ आयुर्वेदिक नुस्खे को भी अजमाया. ग्रामीण योद्धा समय-समय पर आयुर्वेदिक काढ़े का भी इंतजाम कर गांव के अन्य लोगों को पिलाते थे. ताकि उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके. ग्रामीणों का मानना था कि वर्तमान में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे ही कारगर साबित हो रहे हैं. ग्रामीणों ने आयुर्वेदिक को भी अपना साथी बना लिया और ग्रामीणों को जागरूक करने का काम करने लगे.

सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए खुले दुकान

मनरेगा श्रमिकों को मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग बताया

माटूंदा ग्राम पंचायत को आदर्श ग्राम पंचायत भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर सभी प्रकार की व्यवस्थाएं मौजूद हैं. यहां पर सड़कें, चिकित्सा सुविधा, और बाजार सुव्यवस्थित हैं और सभी कार्य रफ्तार के साथ चल रहे हैं. ऐसे में मनरेगा शुरू हुई तो लोग अपने जॉब कार्ड बनवाने पहुंचे और लोगों को काम मिलने लगा. काम मिलने लगा तो लोगों की भीड़ एकत्रित होने लगी. इसी बीच ग्रामीण योद्धाओं ने अपनी टीम बनाई और जहां-जहां मनरेगा के कार्य चलते थे उन जगह पर पहुंचकर मजदूरों को सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करना, मास्क लगाना और सैनिटाइजर का उपयोग करने की सलाह देता दि. साथ ही जो लोग बाहर से आते थे उन लोगों की जानकारी प्रशासन तक पहुंचाई.

माटूंदा ग्राम पंचायत

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प्रशासन ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर पहुंचता था और उन लोगों को क्वॉरेंटीन करता था. बता दे की आज गांव में एक भी कोरोना वायरस का केस नहीं है तो माटूंदा ग्राम पंचायत के लोग सुकुन और चैन से रह रहें हैं. यहां के ग्रामीणों की मेहनत और प्रयासों की वहज से ही यह गांव कोरोना से बचा हुआ है. साथ ही यहां के अन्य ग्रामीण भी कोरोना के प्रति पूरी तरह से जागरूक हैं.

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