बूंदी.ट्रक यूनियन का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बूंदी डीजे कोर्ट के आदेश के बाद नगर प्रशासन एक्शन मोड में है. यूनियन को लेकर एक नोटिस जारी हुई है, जिसको लेकर विरोध जारी है. मामला नगर परिषद की लीज की जमीन से जुड़ा है. जिस पर ट्रक यूनियन काबिज है. यह जमीन 4945 वर्ग गज है.
बूंदी में डीजे कोर्ट का आदेश नगर परिषद की लिए चुनौती दरअसल, पिछले कई वर्षों ने ट्रक यूनियन इस नगर परिषद की जमीन को लेकर बकाया है. जिसे यूनियन ने अब तक चुकता नहीं किया है. बता दें कि वर्ष 1996 में बूंदी नगर परिषद ने एक आदेश जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि बूंदी ट्रक यूनियन सरकार के मापदंड के अनुसार लीज की राशि जमा नहीं कर रहा है. नोटिस चस्पा करने के बावजूद यूनियन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है. उस साल ट्रक यूनियन को 29 लाख 42 हजार की रिलीज रेट के हिसाब से कुल 1 करोड़ 62 लाख 42 हजार रुपए जमा कराकर फिर से लीज जारी करने की बात कही थी, लेकिन ट्रक यूनियन ने लीज को जमा नहीं करवाया. जिसके चलते नगर परिषद उसी समय ट्रक यूनियन के खिलाफ बूंदी डीजे कोर्ट में चला गया था.
मामले में 20 साल बाद नगर परिषद की जीत हुई है. 6 दिन पूर्व डीजे कोर्ट ने ट्रक यूनियन के इस जमीन पर कब्जे को अवैध बताया है. साथ ही नगर परिषद को इसे दो महीने के अंदर खाली कराने के आदेश दिए हैं. वहीं ऐसा ना कर पाने की स्थिति में नगर सभापति और आयुक्त को निजी तौर पर 2 लाख का जुर्माना भरने के दिए हैं. वहीं इस आदेश के बाद बूंदी नगर परिषद एक्शन मोड में है. ट्रक यूनियन को लेकर एक नोटिस चस्पा किया गया है. जिसका ट्रक यूनियन के लोगों ने विरोध किया. शुक्रवार को उन्होंने नगर परिषद सभापति चेंबर और जिला कलेक्टर चैंबर के बाहर जमकर प्रदर्शन किया. साथ ही यूनियन के सदस्यों ने कलेक्टर से जमीन नहीं खाली कराने की मांग की है. वहीं उन्होंने कहा है कि इसके लिए विरोध जारी रहेगा.
अब जिला प्रशासन और नगर परिषद के सामने कोर्ट के इस आदेश के इस आदेश की पालना एक चुनौती बन गया है. बूंदी ट्रक यूनियन भी अपनी भूमि को बताकर मालिकाना हक जता रहा है. उनका कहना है कि वे पिछले 50 सालों से ट्रक यूनियन को चला रहे हैं. ऐसे में अचानक जमीन खाली करना संभव नहीं है. एक लीज की वजह से हमारी ट्रक यूनियन को खाली करवाया जा रहा है. यूनियन के सदस्यों का कहना है कि वे लीज भरने को तैयार हैं. साथ ही नगर परिषद के ना मानने पर उन्होंने मामले में कोर्ट जाने की भी बात कही है. अब देखना होगा कि प्रशासन इस चुनौती से कैसे निपटेगा. एक तरफ कोर्ट का आदेश है तो वहीं दूसरी ओर ट्रक यूनियन के सैकड़ों चालक और परिचालक है जो सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं.