बूंदी.पहाड़ों के बीच बसी जैतसागर झील जिसे बूंदी शहर के लोग बड़े तालाब के नाम से जानते हैं. जैतसागर झील का इतिहास प्राचीन समय से ही चलता हुआ आया है. इस जैतसागर झील का नाम राव जैत सिंह के नाम से रखा गया है. करीब 3 किलोमीटर के हिस्से में फैली यह झील बूंदी शहर के पहाड़ों और यहां के पर्यटन क्षेत्रों को चार-चांद लगाती थी. लेकिन वर्तमान में हालत काफी दयनीय हो गई है.
दरअसल, गर्मी का सीजन चल रहा है और झील के पूरे पानी में कमल जड़े उग आई हैं, जिससे झील में पानी नजर ही नहीं आता है. बचे हुए घाट पर लोगों ने अपना कब्जा जमा लिया है और यहां पर लोग घाट को धोबी घाट के रूप में उपयोग करने लगे हैं, जिससे झील का पानी दूषित हो रहा है.
जैतसागर झील पूरी तरह से कमल जड़ से जकड़ी वहीं, शहरवासियों की ओर से काफी लंबे समय से मांग चली आ रही है कि इस झील की सुरक्षा की जाए और इस पानी को गंदे होने से बचाया जाए. लेकिन ना तो नगर परिषद, ना हीं पर्यटन विभाग और ना ही रामगढ़ अभ्यारण के अधीन आने वाले अधिकारियों ने इसकी सुध ली. इसके चलते असामाजिक तत्वों ने इस झील को गंदगी फैलाने के लिए अपना जरिया बना लिया.
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ईटीवी भारत की टीम जब बूंदी के ऐतिहासिक जैतसागर झील पर पहुंची तो लोग धोबी घाट से फरार हो गए. घाट की हालत इस तरीके से थी कि पूरा पानी मटमैला हो चुका था. इस दौरान घाट पर गंदगी का आलम पसरा हुआ था. किसी समय झील का पानी बिल्कुल साफ हुआ करता था, लेकिन आज कमल की जड़ों के कारण ये पानी कीचड़ का रूप ले चुका है.
हालत कुछ इस प्रकार हो गई है कि लोग झील में सुबह शाम कचरा डालते हुए दिखाई देंगे, जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं है. झील के पास सुख महल एवं जिला संग्रहालय केंद्र भी बना हुआ है, जहां पर पर्यटकों की आवाजाही रहती है. लेकिन वह भी इसे देखने के बाद झील को इस कदर गंदा देख वहां रुकते तक नहीं.
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बता दें कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के बूंदी विधायक रहे अशोक डोगरा ने साल 2015 में नगर परिषद के माध्यम से जैतसागर झील में कमल जड़ों को साफ सफाई कराने के लिए मशीन मंगवाई थी. लेकिन 1 सप्ताह के भीतर ही यह मशीन विभाग द्वारा रोक दी गई और यह कहा गया कि झील अभ्यारण क्षेत्र में है तो यहां कोई विकास का काम नहीं हो सकता. जबकि सरकार चाहे तो झील संरक्षण किया जा सकता है और झील की सुंदरता को बरकरार रखा जा सकता है. लेकिन ना हीं स्थानीय प्रतिनिधि और ना हीं सरकार ने इस मामले में रुचि दिखाई.
बदहाली का दौर इस तरीके से है कि बूंदी की जान बन चुकी यह जैतसागर झील अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है. हालत यह है कि इस आंसू को पोछने वाला भी कोई नहीं है. जरूरत है कि आज सरकार इस झील की बदहाली को देखें और इस झील को सुंदरता के लिए बजट पारित करें, जिससे यह झील अपनी खोई हुई खूबसूरती को वापस पा सके.