बूंदी.शहर के तारागढ़ की पहाड़ी पर डोबरा महादेव और चामुंडा माता का मेला आयोजित हुआ. इस दौरान सुबह से ही दोनों मंदिरों में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया. यहां हर साल सावन मास में एक दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है. शहर के तारागढ़ की पहाड़ी पर स्थित चामुंडा माता का मंदिर और डोबरा महादेव का मंदिर है. जहां पर तारागढ़ की पहाड़ी के पीछे फुल सागर रोड पर पैदल और वाहनों से श्रद्धालु पहुंचते हैं. साथ ही तारागढ़ पर भी पैदल जाने का रास्ता है. मेले के मौके पर चामुंडा माता का विशेष शृंगार किया गया. लोगों ने माता को प्रसाद और चुनरी चढ़ाई. शाम को शहर में गढ़ पैलेस के नीचे मेले आयोजित हुआ. जहां बच्चों के खिलौने और खाने-पीने की दुकानें सजाई गई जहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.
चामुंडा माता के इतिहास
चामुंडा माता की पुजारी कजोडी बाई ने बताया कि चामुंडा माता जब अपने रूप में आती थी तो वह अच्छे-अच्छे को हाथ पर खड़ी कर देती थी. माता का चमत्कार रियासत कालीन से ही नजर आता हुआ आया है. यह माता राजघराने की कुलदेवी रही हैं. यहां पर जो वीर शासक रहे हैं वह अपने काम या युध्द में लड़ने से पहले माता के दरबार में हाजिरी लगाते थे और उसी के बाद माता उन्हें हां कर दे दी थी तो वह युद्ध में कूद जाते थे और उनकी फतेह होती थी. यह चमत्कार आज भी कायम है और हर सावन मास के अष्टमी के दिन माता का मेला लगता है. जहां पर हाडौती और प्रदेश भर के श्रद्धालु पहुंचते हैं और माता के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं जहां प्रसाद और चुन्नी चढ़ाते हैं. यहां पर हर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.
डोबरा महादेव का इतिहास
डोबरा महादेव के महंत ओम प्रकाश बृजवासी ने बताया कि मेले के अवसर पर महादेव का विशेष शृंगार किया गया. रघुनाथ जी और हनुमान जी की विशेष पूजा-अर्चना की गई. लोगों ने महादेव को तरह-तरह के प्रसाद चढ़ाएं. इस दौरान महंत ओम प्रकाश गोस्वामी ने बताया कि जहां पर यह मंदिर स्थित है वहां पहले हनुमान जी विराजे थे क्योंकि पास ही में एक कुंड था जो कुंड अभी बनाया है. इस कुंड में हनुमान जी की प्रतिमा मिली थी और हनुमान जी के प्रतिमा को यहां के दरबार ने प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी.