बूंदी. कोरोना का इलाज अब पूरी तरह से आयुर्वेदिक और योग से हो सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए विस्तृत गाइडलाइन और प्रोटोकॉल जारी किया है. प्रोटोकॉल के तहत कोरोना के माइल्ड और मॉडरेट केसों का ही इलाज किया जा सकेगा. गंभीर मामलों में कोरोना के मरीजों को एलोपैथिक इलाज के लिए कोविड-19 सेंटर में भेजना अनिवार्य किया गया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि कोरोना मरीजों के लिए ट्रायल के दौरान आयुर्वेदिक दवा और योग के प्रामाणिक रूप में प्रभावित पाए जाने के बाद इसे औपचारिक रूप से इलाज में शामिल करने का फैसला लिया गया है. विशेषज्ञों की टीमों के लिए प्रोटोकॉल को तैयार किया गया है. प्रोटोकॉल में विस्तार से बताया गया है कि मरीजों को कौन-कौन सी आयुर्वेदिक दवाएं कितनी मात्रा में कितनी बार लेनी है.
कोरोना मरीजों के लिए योग जरूरी
इसी तरह मरीजों के लिए योग को भी जरूरी बताया गया है, जिसमें आसनों के बारे में जानकारी दी गई है. प्रोटोकॉल तैयार हो जाने के बाद देश के सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों में कोरोना मरीजों का एक समान प्रमाणिक इलाज शुरू हो सकेगा. आयुर्वेदिक डॉक्टर किसी माइल्ड और मॉडरेट मरीज को आइसोलेशन के दौरान इन दवाओं को दे सकेंगे. आयुर्वेदिक दवाओं को मरीज खुद भी अपने मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं.
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कोरोना काल में बाजारों में इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में आयुर्वेदिक दवा काफी सफल रही है. 12 मार्च 2020 से बूंदी आयुर्वेदिक विभाग की ओर से लोगों को काढ़े पिलाने का काम किया जा रहा है. साथ में अश्वगंधा और आयुष क्वाथ सहित कई प्रकार की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली सामग्रियों को निःशुल्क रूप में पिलाया जा रहा है. अब आईसीएमआर (ICMR) की ओर से प्रोटोकॉल को आयुर्वेदिक विभाग में शामिल करने के बाद बूंदी आयुर्वेदिक विभाग की कोरोना से जंग लड़ने की लड़ाई भी सफल होती भी नजर आ रही है.