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SPECIAL: आयुर्वेद से हारेगा कोरोना, तय प्रोटोकॉल के तहत कोरोना के माइल्ड और मॉडरेट केसों का हो सकेगा इलाज

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Published : Oct 9, 2020, 9:57 PM IST

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. इस बीच बूंदी के आयुर्वेदिक विभाग ने लोगों को विभिन्न प्रकार के औषधियों से निर्मित काढ़ा पिलाया. विभाग के इस प्रयास से कई कोरोना संक्रमित रिकवर हुए. वहीं, अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी आयुर्वेदिक विभाग को अपने प्रोटोकॉल में शामिल कर लिया है. प्रोटोकॉल तैयार हो जाने के बाद देश के सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों में कोरोना मरीजों का एक समान प्रमाणिक इलाज शुरू हो सकेगा.

Corona treatment with Ayurvedic medicines,  Bundi News
आयुर्वेद से हारेगा कोरोना

बूंदी. कोरोना का इलाज अब पूरी तरह से आयुर्वेदिक और योग से हो सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए विस्तृत गाइडलाइन और प्रोटोकॉल जारी किया है. प्रोटोकॉल के तहत कोरोना के माइल्ड और मॉडरेट केसों का ही इलाज किया जा सकेगा. गंभीर मामलों में कोरोना के मरीजों को एलोपैथिक इलाज के लिए कोविड-19 सेंटर में भेजना अनिवार्य किया गया है.

कोरोना मरीजों के लिए योग जरूरी

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि कोरोना मरीजों के लिए ट्रायल के दौरान आयुर्वेदिक दवा और योग के प्रामाणिक रूप में प्रभावित पाए जाने के बाद इसे औपचारिक रूप से इलाज में शामिल करने का फैसला लिया गया है. विशेषज्ञों की टीमों के लिए प्रोटोकॉल को तैयार किया गया है. प्रोटोकॉल में विस्तार से बताया गया है कि मरीजों को कौन-कौन सी आयुर्वेदिक दवाएं कितनी मात्रा में कितनी बार लेनी है.

बूंदी में आयुर्वेदिक काढ़े से 60 मरीज हुए रिकवर

कोरोना मरीजों के लिए योग जरूरी

इसी तरह मरीजों के लिए योग को भी जरूरी बताया गया है, जिसमें आसनों के बारे में जानकारी दी गई है. प्रोटोकॉल तैयार हो जाने के बाद देश के सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों में कोरोना मरीजों का एक समान प्रमाणिक इलाज शुरू हो सकेगा. आयुर्वेदिक डॉक्टर किसी माइल्ड और मॉडरेट मरीज को आइसोलेशन के दौरान इन दवाओं को दे सकेंगे. आयुर्वेदिक दवाओं को मरीज खुद भी अपने मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं.

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कोरोना काल में बाजारों में इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में आयुर्वेदिक दवा काफी सफल रही है. 12 मार्च 2020 से बूंदी आयुर्वेदिक विभाग की ओर से लोगों को काढ़े पिलाने का काम किया जा रहा है. साथ में अश्वगंधा और आयुष क्वाथ सहित कई प्रकार की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली सामग्रियों को निःशुल्क रूप में पिलाया जा रहा है. अब आईसीएमआर (ICMR) की ओर से प्रोटोकॉल को आयुर्वेदिक विभाग में शामिल करने के बाद बूंदी आयुर्वेदिक विभाग की कोरोना से जंग लड़ने की लड़ाई भी सफल होती भी नजर आ रही है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने आयुर्वेद को दी हरी झंडीः डॉक्टर

आयुर्वेदिक विभाग के प्रभारी डॉ. सुनील कुशवाह ने बताया कि जब 12 मार्च को रिसर्च किया गया. इस दौरान लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक काढ़े को पिलाने का काम शुरू किया गया. करीब 1.50 लाख लोगों को कोरोना काल के दौरान आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाया. उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल से लेकर बूंदी जिला जेल सहित जितने भी कोरोना वॉरियर्स थे वह आम नागरिक थे. सभी ने इस आयुर्वेदिक काढ़े को पीया और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई.

बूंदी में आयुर्वेदिक काढ़े से 60 मरीज हुए रिकवर

सुनील कुशवाह का कहना है कि करीब 60 मरीज इस आयुर्वेदिक काढ़े से रिकवर हुए हैं. उन्होंने बताया कि काढ़े के साथ-साथ हमने लोगों को अश्वगंधा पाक, अश्वगंधा चूर्ण, आयुष क्वाथ, इम्यूनिटी किट और कपूर धारा वटी सहित कई प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों को निःशुल्क वितरित किया गया. बूंदी आयुर्वेदिक विभाग प्रशासन को उम्मीद थी कि यह कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मददगार साबित होगा.

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कुशवाह ने बताया कि 6 महीने बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के अंदर आयुर्वेदिक विभाग को शामिल किया है. उन्होंने कहा कि यह सब करने के पीछे बूंदी जिला प्रशासन का उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिला. वह अपने निजी स्तर पर लोगों के जन सहयोग के अनुसार इन सामग्रियों को एकत्रित करते रहे और आमजन को पिलाते रहे. उनका कहना है कि यदि प्रशासन भी इस जनहित के कार्य में साथ दें तो कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सकता है.

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