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Shardiya Navratri 2023 : नवरात्र में नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की होती है पूजा, जानें महानवमी का महत्व

Maa Siddhidatri, नवरात्र के नवमी तिथि और नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है. मां सिद्धिदात्री की निश्चल भाव और पूरी एकाग्रता के साथ पूजा आराधना करने से मां प्रसन्न होकर सिद्धियां प्रदान करती हैं. ऐसा करने से मोक्ष के रास्ते खुलते हैं. इसलिए मां सिद्धिदात्री को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है.

Maa Siddhidatri
Maa Siddhidatri

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 23, 2023, 6:46 AM IST

बीकानेर. नवरात्र का सोमवार को नौवां दिन है. आज मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है. आज के दिन एकाग्र मन से मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से विवेक की प्रप्ति होती है और परिवार में खुशहाली आती है. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि देवी सिद्धिदात्री छोटी कन्या को मां का स्वरूप मानते हुए कन्या पूजन का विशेष विधान है. नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की पूजा से सभी कष्ट स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं.

सफेद और लाल कमल के फूल प्रिय : किराडू ने बताया कि देवी सिद्धिदात्री को सफेद कमल के पुष्प और लाल कमल के पुष्प अति प्रिय है. मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना में इनका प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा नैवेद्य में खीर मालपुआ हलवे का भोग लगाना चाहिए इससे परिवार में खुशहाली आएगी.

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कमलासन पर विराजित हैं देवी : किराडू ने बताया कि मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं के साथ कमल पर विराजमान हैं. जिसमें वह गदा, कमल, शंक और शुदर्शन चक्र विद्यमान है. उन्होंने बताया कि मां मान्यता के अनुसार दुर्गा की नौंवी शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करने पर अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि गंधर्व किन्नर, नाग, यक्ष और मनुष्य सभी को मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त है. मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना में कमल के फूल का प्रयोग अत्यंत ही उत्तम माना जाता है.

कन्या भोज का विशेष विधान : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि शास्त्रों में इसका उल्लेख है कि देवी सिद्धिदात्री की आराधना और तपस्या स्वयं भगवान भोलेनाथ ने भी की थी. भगवान शिव की तपस्या से देवी सिद्धिदात्री बहुत ही प्रसन्न हुई थी. इसी के बाद भगवान शिव और देवी पार्वती का अर्द्धनारीश्वर का रूप प्रचलन में आया. उन्होंने बताया कि 9 दिनों तक भगवती देवी के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना व अनुष्ठान के बाद नौवें दिन 10 वर्ष से कम आयु की 9 कन्या को भोजन कराएं. इनके साथ में एक नन्हें बालक को बटुक भैरव का स्वरूप मानते हुए भोजन अवश्य कराएं.

दांपत्य जीवन से तनाव दूर : नवमी के दिन स्नान के बाद गणपति की पूजा करें और मां दुर्गा की तस्वीर के समक्ष दो मुखी घी दीपक लगाकर मां सिद्धिदात्री का स्मरण करें. इसके साथ ही उन्हें कुमकुम, सिंदूर और लाल फूल आदि चढ़ाएं. उसके बाद 108 बार ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: मंत्र का जाप करें. ऐसी मान्यता है कि इससे वैवाहिक जीवन में सुख का आगमन होता है. पति-पत्नी के बीच चल रहा तनाव भी दूर होता है.

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