बीकानेर .शनि देव कर्मों के हिसाब से फल देते हैं और इसलिए इन्हें न्यायप्रिय कहा जाता है. सूर्यदेव पिता और माता छाया के पुत्र हैं. कहते हैं यदि शनि देव किसी पर मेहरबान हो जाएं तो उसे राजा बनने में देर नहीं लगती. वहीं शनि की बुरी दृष्टि व्यक्ति को बर्बाद कर देती है. शनिवार का दिन हनुमान जी को भी समर्पित है.
शनि की कृपा के लिए करें ये काम-प्रतिदिन पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र और ॐ नमः शिवाय का जाप करें तो शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है. शनिवार को शमी के पेड़ की पूजा करें. सनातन धार्मिक ग्रंथों में निहित है कि शमी के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति पर शनिदेव की कृपा बरसती है. शनिदेव की पूजा के एक दिन पहले सवा किलो काले चने को तीन बर्तनों में अलग-अलग भिगो दें. अगले दिन स्नान के बाद विधि-विधान से शनि देव की पूजा में उन काले चनों को चढ़ाएं. पूजा के बाद पहले कुछ चने भैंस को खिलाना चाहिए. बाकी बचा कुष्ठ रोगियों को बांटना चाहिए. वहीं कुछ चना घर से दूर ऐसी जगह पर रखना चाहिए, जहां कोई न होता हो.
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काली गाय की सेवा और पीपल की पूजा- शनि देव को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है गाय की सेवा करना. काली गाय की सेवा करने से शनि देव प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. गाय के सींग पर कलावा बांधना चाहिए और पूजा करनी चाहिए. इसके बाद गाय के चारों ओर घूमें और उसे चार चम्मच बूंदी खिलाएं. माना जाता है कि पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, जो भी व्यक्ति शनिवार के दिन सूर्योदय के बाद पीपल की पूजा करने, जल अर्पित करने हुए तेल का दीया जलाने से शनि देव की कृपा हमेशा मिलती है. पीपल के पेड़ की पूजा से शनिदेव जल्द प्रसन्न होते हैं.
ऐसा बिल्कुल न करें- शनिवार को शराब पीना सबसे घातक माना गया है. पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में यात्रा करना मना है. विवाहिता को को शनिवार के दिन ससुराल नहीं भेजना चाहिए. शनिवार के दिन तेल, लकड़ी, कोयला, नमक, लोहा या लोहे की वस्तु क्रय करके नहीं लानी चाहिए वर्ना बिना बात की बाधा उत्पन्न होगी और अचानक कष्ट झेलना पड़ेगा.
करें ये पाठ-शनिवार के दिन शनिदेव की कृपा पाने और कुंडली से साढ़ेसाती का प्रभाव कम करने लिए शनिदेव के मंत्रों और चालीसा का पाठ करना चाहिए. साथ ही संभव हो तो शनि मंदिर जाकर शनि चालीसा और आरती भी करें. हनुमान जी की पूजा और हनुमान चालीसा करना चाहिए. हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव की भी कृपा प्राप्त होती है. शनिमंत्र का जप करना चाहिए.