भीलवाड़ा.रंग व गुलाल और हंसी ठिठोली के बीच ही शहर में शीतला अष्टमी पर एक अनोखे तरह का कार्यक्रम होता है. इस कार्यक्रम में मुर्दे की शव यात्रा निकाली जाती है, जिसमें एक जिंदा व्यक्ति को अर्थी पर लिटाया जाता है. बाद में मुर्दा युवक अर्थी से कूदकर भाग जाता है. वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में शीतला अष्टमी के मौके पर करीब 200 वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है.
बता दें कि इस बार भी शीतला अष्टमी पर सोमवार को यह कार्यक्रम हुआ. जिंदा मुर्दे की शव यात्रा में सैकड़ों की संख्या में शहरवासियों ने भाग लिया. यह यात्रा शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए शहर के प्राचीन बड़े मंदिर के पास पहुंची, जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया. मुर्दे की सवारी को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से भी पुख्ता बंदोबस्त किए गए.
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शहरवासी महावीर प्रसाद सेन ने कहा, कि इस शव यात्रा को देखते हुए मुझे 50 साल हो चुके हैं. यह यात्रा पूरे राजस्थान में इकलौते भीलवाड़ा में ही निकाली जाती है. इस जिंदा मुर्दे की शव यात्रा में एक व्यक्ति अर्थी पर लेटता है और उसे शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए ले जाया जाता है. अंत में उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.
सेन ने बताया, कि इस यात्रा में जिंदा मुर्दा बना व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से अर्थी पलटता है. कार्यक्रम के खत्म होने के बाद शहर के लोगों की ओर से उसे नीक के नाम पर राशि दी जाती है. उन्होंने बताया कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को सुख-दुख में मजबूत रहने और खुशी के साथ अपना जीवन यापन करने का संदेश दिया जाता है.
स्थानीय निवासी कमल शर्मा ने कहा, कि मेवाड़ क्षेत्र के भीलवाड़ा में यह शव यात्रा निकाली जाती है. इस शव यात्रा को देखने के लिए पूरे राजस्थान से लोग आते हैं.