भीलवाड़ा. जिले के सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 17 अप्रैल को उपचुनाव होना है. उपचुनाव को लेकर मंगलवार को उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ एक दिवसीय दौरे पर भीलवाड़ा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि गहलोत सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में आम आदमी त्रस्त हो गया है.
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राठौड़ ने कहा कि प्रदेश मे दहशतगर्दी की जिंदगी में आम आदमी जी रहा है. प्रदेश में विकास रुका हुआ है क्योंकि जो वादे कांग्रेस ने जन घोषणा पत्र में किए थे वह अब तक पूरी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार का तांडव है. प्रदेश में एसपी, आईजी और राजस्व मंडल में भ्रष्टाचारियों के कारनामे सामने आ रहे हैं. अधिकारियों को राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त है.
राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भीलवाड़ा जिले में बजरी माफियाओं को भी राजनेताओं का संरक्षण है, जिससे पुलिस अपने आप को असहाय महसूस कर रही है. हाल ही में तस्करों ने पुलिस के दो जांबाज सिपाहियों की गोली मारकर हत्या कर दी. इसका नतीजा यह है कि प्रदेश में सरकार नाम की बच गई है काम की नहीं है. प्रदेश में सरकार का वजूद जरूर है, लेकिन सरकार का इकबाल नहीं है.
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चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मौनी बाबा बताया, इस पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि चिकित्सा मंत्री बयान वीर हैं. इस प्रकार का बचकाना बयान देना उनकी आदत है. उन्होंने कहा कि रघु शर्मा कहते हैं कि महाराष्ट्र के बाद हमने सबसे ज्यादा एक करोड़ लोगों को वैक्सीनेशन किया. उन्होंने कहा कि यह वैक्सीन शायद सीएम गहलोत और मंत्री रघु शर्मा के घर में बन रही होगी. उन्होंने कहा कि किसी भी मंत्री का इस प्रकार का गैर जिम्मेदाराना बयान मैंने कभी नहीं देखा.
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वहीं, गुलाबचंद कटारिया की ओर से महाराणा प्रताप पर दिए गए बयान को लेकर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कटारिया के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है. कटारिया ने अपने स्पष्टीकरण में यह बात भी कह दी कि महाराणा प्रताप के इतिहास को हिंदुस्तान के इतिहास से कोई अलग नहीं कर सकता है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की ओर से शिक्षकों पर दिए गए बयान को लेकर राठौड़ ने कहा कि हमारे शिक्षा मंत्री अपने आप को विद्वान समझते हैं. उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार का सारा मंत्रिमंडल अंहकार में डूबा हुआ है. सामाजिक परंपरा में मान्यता को तोड़ा जा रहा है और लोकतंत्र को छोटा किया जा रहा है.