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Apna Ghar Ashram : एक 'प्रभुजी' से शुरू हुआ अपना घर आश्रम पहुंचा 11 राज्योें तक, 59 शाखा में रहते हैं 12 हजार प्रभुजन

एक 'प्रभुजी' (असहाय) के साथ शुरू हुआ भरतपुर का अपना घर आश्रम आज 11 राज्यों में फैला हुआ है. इसके संस्थापक बीएम भारद्वाज अपना घर देश के हर शहर में खोलने की इच्छा रखते हैं. पढ़िए कैसे भारद्वाज के मन में आया मानव सेवा का भाव और कैसे तय किया 1 से 59 अपना घर आश्रम खोलने तक का सफर.

Apna Ghar Ashram
Apna Ghar Ashram

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 21, 2023, 10:17 PM IST

अपना घर आश्रम

भरतपुर.मानव सेवा और इंसानियत का धर्म निभा रहा अपना घर आश्रम आज काफी विस्तार ले चुका है. एक 'प्रभुजी' (असहाय) से शुरू की गई मानव सेवा का कारवां आज देश के 11 राज्यों तक पहुंच गया है. अपना घर के संस्थापक बीएम भारद्वाज बताते हैं कि मानव सेवा का भाव बचपन से ही मन में था. गांव के एक बुजुर्ग को बीमारी में तड़पते देखा तो सक्षम होने पर मानव सेवा का बीड़ा उठा लिया था.

11 राज्यों में 59 अपना घर आश्रम : भारद्वाज पहले तो घायल, बीमार और लावारिस लोगों को घर पर ही लाकर रखने और उनकी देखभाल करते थे. इसके बाद वर्ष 2000 में जमीन खरीद कर अपना घर आश्रम की स्थापना की. आज देश के 11 राज्यों में 59 अपना घर आश्रम हैं, जिसमें 12 हजार प्रभुजन निवास करते हैं. डॉ. बीएम भारद्वाज और उनकी पत्नी डॉ. माधुरी भरद्वाज के समर्पण और प्रेम का ही नतीजा है कि आज अपना घर आश्रम मानव सेवा में पूरी दुनिया में सर्वोपरि संस्था बन चुकी है.

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ऐसे जागा सेवा का भाव : अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के सहरोई गांव में हुआ. जब वह छठवीं कक्षा में थे तो उन्होंने अपने गांव के एक बुजुर्ग को बीमार और घायल अवस्था में तड़पते हुए देखा. उनकी सेवा करने वाला कोई नहीं था, तभी से मन में मानव सेवा का बीज पनप गया. जब बड़े हुए तो डॉ. बीएम भारद्वाज बीएचएमएस की पढ़ाई करने के लिए भरतपुर आ गए.

अपना घर में 12000 प्रभुजन करते हैं निवास

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घर पर ही बीमार व्यक्ति का करते थे उपचार : डॉ. भारद्वाज की पढ़ाई पूरी होने के बाद प्रैक्टिस अच्छी खासी चलने लगी. उनकी पत्नी डॉक्टर माधुरी भरद्वाज ने भी उनके हर कार्य में सहयोग दिया. डॉ. बीएम भारद्वाज ने अपनी पत्नी डॉ. माधुरी को अपने मन की बात बताई और वो भी मानव सेवा के लिए साथ जुट गईं. भारद्वाज को कोई भी लावारिस, बीमार और घायल अवस्था में व्यक्ति मिलता, तो उसे अपने घर लेकर आ जाते और उसकी वहीं पर उपचार, सेवा करते. वर्ष 1993 से वर्ष 2000 तक भारद्वाज ने अपने घर पर ही मानव सेवा की.

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भामाशाह की तरफ से मिला भरपूर सहयोग :29 जून 2000 को डॉक्टर भारद्वाज दंपती ने भरतपुर जिले के बझेरा गांव में एक बीघा जमीन खरीद कर उसमें अपना घर आश्रम की नींव रखी. 6 कमरे के इस अपना घर आश्रम में 23 'प्रभुजी' (असहायों) की सेवा की. मानव सेवा को देखकर लोगों का सहयोग बढ़ता गया. यह आश्रम छोटा पड़ने लगा तो बझेरा में ही नया आश्रम शुरू किया. डॉ. भारद्वाज ने बताया कि मानव सेवा में भामाशाह और लोगों की तरफ से लगातार सहयोग मिला.

11 राज्यों में 59 अपना घर आश्रम संचालित

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5 और अपना घर आश्रम शुरू होंगे : कुछ माह पूर्व बझेरा में नवनिर्मित प्रभु प्रकल्प शुरू किया गया है, जिसमें करीब 5100 से अधिक प्रभुजन निवास कर रहे हैं. यहां पर हर उम्र और बीमारी के हिसाब से 'प्रभुजी' के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. भारद्वाज ने बताया कि फिलहाल 5 और अपना घर आश्रम शुरू होने वाले हैं. उनका सपना है कि देश के प्रत्येक शहर में अपना घर आश्रम की एक शाखा संचालित हो, जिससे किसी भी शहर में कोई भी लावारिस और असहाय व्यक्ति भूख-प्यास और देखभाल के अभाव में दम न तोड़े.

केबीसी से मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान :डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि कोरोना से पहले कौन बनेगा करोड़पति के कर्मवीर एपिसोड में अपना घर आश्रम की मानव सेवा को दिखाया गया. इससे अपना घर आश्रम का सेवा कार्य न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में पहचाना जाने लगा. अपना घर आश्रम से देश के साथ ही विदेशों के भामाशाहों का भी जुड़ाव बढ़ा है.

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