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बुजुर्ग दंपती ने एक साथ लिया 'संथारा', पति ने पहले छोड़ा संसार, पत्नी भी तैयार

बाड़मेर के जसोल कस्बे में 18 दिन पहले एक बुजुर्ग दंपती ने स्वेच्छा से संसार छोड़ने का मन बनाया था. ऐसा करने के लिए दोनों ने एक साथ संथारा (Couple take Santhara ritual in Barmer) लिया. शनिवार को 83 वर्षीय पति ने संसार छोड़ दिया.

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Published : Jan 14, 2023, 6:22 PM IST

Published : Jan 14, 2023, 6:22 PM IST

Old age couple take Santhara ritual in Barmer, the husband passed away before wife
बुजुर्ग दंपती ने एक साथ लिया 'संथारा', पति ने पहले छोड़ा संसार, पत्नी भी तैयार

बाड़मेर. जिले में जैन समाज के एक दंपती ने स्वेच्छा से संसार छोड़ने के लिए संथारा लेने का फैसला लिया. शनिवार को 83 वर्षीय बुजुर्ग पुखराज संकलेचा ने संसार छोड़ दिया. उनके संसार छोड़ने के बाद उनकी 81 वर्षीय पत्नी गुलाबी देवी पार्थिव देह के पास बैठ गई और अपना संथारा पूर्ण करने के लिए मंत्र जाप शुरू कर दिए.

इससे पहले जिले के जसोल कस्बे में पति ने संसार छोड़ने का फैसला किया तो पत्नी ने भी अंजल त्याग दिया. बीते 18 दिनों से दंपती ने संथारा ले रखा था. वहीं दूर-दूर से लोग उनके दर्शन करने के लिए पहुंचे. संकलेचा परिवार के 150 से अधिक सदस्य देशभर से जसोल पहुंचे. परिवार के दो बुजुर्गों के संसार छोड़ने पर घर में शोक का नहीं बल्कि उत्सव जैसा माहौल देखने को मिला. परिवार के अनुसार जैन धर्म में मान्यता है कि संथारापूर्वक जीवन का त्याग करने से मनुष्य उत्तम गति प्राप्त करता है. वहीं बुजुर्ग की बैकुंठ यात्रा बड़े उत्साहपूर्वक निकाली गई. संकलेचा निवास से बैकुंठ यात्रा बैंड, ढोल, नगाड़ों के साथ मोक्षधाम पहुंची और बड़ी संख्या में लोग यात्रा में शामिल हुए.

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माणक संकलेचा ने बताया कि उनके बड़े भाई 83 वर्षीय पुखराज संकलेचा और 81 वर्षीय उनकी पत्नी गुलाबी देवी ने आत्मा और शारिरिक शुद्धि के लिए संथारा लिया. उन्होंने बताया कि जैन धर्म के मान्यता है कि संथारा ग्रहण करने वाला बहुत ही उच्च कोटि की गति को प्राप्त करता है. उन्होंने कहा कि हम भगवान से प्रार्थना करते है कि इन्हें इस संसार से मुक्ति मिले. माणक संकलेचा ने बताया कि पहली बार कोई पत्नी-पति एक साथ संथारा कर रहे हैं. इससे पहले ऐसा नहीं हुआ है. बता दें कि 27 दिसम्बर, 2022 से बुजुर्ग पुखराज संखलेचा ने भोजन और दवा लेना छोड़ दिया था. उन्हें सुमति मुनि के सान्निध्य में संथारा दिलाया गया. उनके पीछे पत्नी गुलाबी देवी ने भी भोजन पानी छोड़ दिया और 6 जनवरी को आचार्य महाश्रमण ने उन्हें संथारा ग्रहण करवाया.

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