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मिसाल बनी COVID केयर सेंटर की दोस्ती, हिंदू परिवार की बेटी ने मुस्लिम परिवार के बेटे को बांधी राखी

जीवन में रिश्ते कब, कहां और कैसे बन जाए किसी को पता नहीं होता है. ऐसा ही परिदृश्य बाड़मेर का कोविड केयर सेंटर में देखने को मिला है. यहां दो अलग-अलग समुदाय के परिवारों के बीच दोस्ती इस तरह हो गई कि ये लोगों जीवन भर तक दोस्ती निभाने की बीत कह रहे हैं. इस बीच हिंदू परिवार के बेटी ने मुस्लिम समुदाय के बेटे को राखी बंधकर ये दोस्ती और मजबूत कर दी है.

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कोविड केयर सेंटर में दोस्ती के बाद हिंदू बेटी ने मुस्लिम बेटे को बांधी राखी

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Published : Aug 3, 2020, 10:20 AM IST

Updated : Aug 3, 2020, 10:35 AM IST

बाड़मेर.जीवन में रिश्ते कब, कहां और कैसे बन जाए किसी को पता नहीं होता है. ऐसा ही परिदृश्य बाड़मेर का कोविड केयर सेंटर पर देखने को मिला. यहां कोरोना संक्रमित मरीजों को उपचार के लिए भर्ती किया जा रहा है. कोविड केयर सेंटर ने राखी के पर्व पर बाड़मेर के दो अलग-अलग समुदाय के परिवारों को राखी के अटूट बंधन बांध दिया है. सबसे खास बात यह है कि इस अनोखे रिश्ते ने कौमी एकता की मिसाल पेश की है. बाड़मेर के दो हिंदू और मुस्लिम परिवारों के बीच कोविड केयर सेंटर में हुई पहचान के बाद हिंदू बेटियों और मुस्लिम बेटे के बीच राखी के पवित्र बंधन ने जीवनभर के लिए जोड़ दिया है.

कोविड केयर सेंटर में दोस्ती के बाद हिंदू बेटी ने मुस्लिम बेटे को बांधी राखी

बाड़मेर शहर के अलग-अलग इलाकों में रहने वाले दो हिंदू और मुस्लिम परिवार की महिलाएं कुछ दिन पहले कोरोना से संक्रमित हुई थी. जिसके बाद उन्हें कोविड केयर सेंटर में उपचार के लिए भर्ती किया गया था, जहां पर इन दोनों महिलाओं की आपस में पहचान हुई और दोस्ती बनी. दोस्ती इतनी गहरी बनी कि इन्होंने एक दूसरे से जीवन भर का रिश्ता जोड़ने के लिए रक्षाबंधन के पर्व पर हिंदू बेटी ने मुस्लिम बेटे को राखी बांधकर कौमी एकता की मिसाल पेश की है.

कोविड केयर सेंटर में दोस्ती के बाद हिंदू बेटी ने मुस्लिम बेटे को बांधी राखी

दरअसल बाड़मेर शहर निवासी वर्षा चौहान कुछ दिन पहले कोविड-19 से संक्रमित हुई थी, जिसकी वजह से वर्षा अपनी बेटियों के साथ कोविड केयर सेंटर शिफ्ट हुई थी. जहां पर उनकी मुलाकात मुस्लिम समुदाय की निशा शेख से हुई. इस दौरान एक दूसरे ने घर परिवार की बातें साझा की. बातचीत के दौरान वर्षा चौहान ने कहा कि उनके पास तीन बेटियां हैं, कोई बेटा नहीं है. वहीं निशा शेख ने बताया कि उनके दो बेटे हैं, कोई बेटी नहीं है. इस तरह वर्षा और निशा के बीच गहरी दोस्ती हो गई. कुछ दिनों बाद दोनों स्वस्थ होकर कोविड केयर सेंटर से वापस अपने अपने घर की तरफ चल पड़े.

कोविड केयर सेंटर में दोस्ती के बाद हिंदू बेटी ने मुस्लिम बेटे को बांधी राखी

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वर्षा चौहान के पास बेटा नहीं होने की वजह से उनकी बेटियां हर बार रक्षाबंधन पर साईं बाबा के मंदिर में जाकर उन्हें राखी बांधती थी, लेकिन इस बार राखी के मौके पर वर्षा अपनी बेटी रोशनी के साथ कोविड केयर सेंटर में मिली मुस्लिम समुदाय की दोस्त निशा शेख के घर पहुंची और यहां पर वर्षा ने निशा के बेटे दिलशान और ईशान को अपनी बेटी रोशनी का भाई बनाने की बात कही. इसके बाद वर्षा की बेटी रोशनी ने परंपरागत तरीके से निशा के बेटों को तिलक लगाकर राखी बांधी और उन्होंने नन्ही बहन रोशनी को तोहफा भी दिया. इस तरह दो अलग-अलग धर्मों के परिवारों के बच्चों ने मजहब की दूरियां मिटाकर राखी का रिश्ता कायम किया.

नन्हीं रोशनी ने बताया कि उनके कोई भाई नहीं है और जिस वजह से वह हर साल साईं बाबा के मंदिर में जाकर उन्हें राखी बांधती थी, लेकिन आज पहली बार रक्षाबंधन का पर्व इतनी खुशी से मनाया है. इस बार राखी पर दिलशान और ईशान को राखी बांधकर अपना भाई बनाया है. अब हर साल आगे भी इन्हें राखी बांधेगी. वर्षा चौहान ने बताया कि मेरे और मेरी बेटियों को भाई नहीं है, जिसकी वजह से हम साईं बाबा के मंदिर जाकर उन्हें राखी बांधते थे, लेकिन इस बार निशा शेख के बेटे दिलशान और ईशान को अपनी बेटी रोशनी के हाथों से राखी बांधकर अपना भाई बनाया है. वर्षा ने बताया कि कोरोना से संक्रमित होने की वजह से कोविड केयर सेंटर में अपनी बेटियों के साथ शिफ्ट हुई थी. इस दौरान हम दोनों में दोस्ती हुई और दोस्ती ने मजहब की दीवार को नहीं देखा आज मेरी बेटियों को भाई मिल गया और निशा शेख से जीवनभर का रिश्ता बन गया.

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निशा शेख ने बताया कि मेरे दोनों बच्चे दिलशान और ईशान को कोई बहन नहीं है और कोविड केयर सेंटर में वर्षा से मेरी दोस्ती हुई. वर्षा को दो बेटियां हैं, उनका कोई भाई नहीं है. तो उनकी बेटियों से मैंने अपने बेटों को राखी बंधवाई. मुझे बहुत अच्छा लगा. रक्षाबंधन के अवसर पर हम दोनों का एक नया रिश्ता बन है. उन्होंने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच, जो आपसी भाईचारा बना हुआ है. कौमी एकता को आगे भी बनाकर रखेंगे. यकीनन इसीलिए कहते हैं कि रिश्ते कब और कहां बन जाए कोई नहीं जानता है.

Last Updated : Aug 3, 2020, 10:35 AM IST

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