बाड़मेर: भारतीय किसान संघ (Bhartiya kisan sangh) के नेता मानकराम परिहार का मानना है कि किसानों की बर्बाद फसल का मुआवजा देने से बीमा कम्पनियां बचना चाहती हैं. वो उनके क्लेम को अपनी तरह से सेटल करना चाहती है. इन मुद्दों को भी 8 सितंबर को होने वाले देशव्यापी किसान आंदोलन में प्रमुखता से उठाया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि दरअसल, बीमा कम्पनियां अपनी सुविधा के मुताबिक मुद्दे का निपटारा करना चाहती हैं.
किसानों की महापंचायत: छावनी बना करनाल- इंटरनेट बंद, धारा 144 लागू
बाड़मेर प्रवास के दौरान मीडिया से बातचीत में परिहार ने किसानों की दयनीय स्थिति को सामने रखा. बताया कि बरसात के अभाव में जल चुकी फसलों का उत्पादन न के बराबर हुआ है. ऐसे किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत (50 प्रतिशत से अधिक उत्पादन प्रभावित होने की स्थिति में) मध्य सीजन में सर्वे कर तत्काल सहायता का प्रावधान है. इसके अनुसार ही फसलों का सर्वे किया जा रहा है.
अब किसानों का कहना है कि खड़ी फसल जलकर बर्बाद होने के बावजूद बीमा कंपनियां इसे असफल बुवाई की श्रेणी में मान रही हैं और इसी अनुसार क्लेम सेटल (Claim Settlement) करना चाहती हैं.
परिहार का कहना है कि इस सबंध में संगठन प्रतिनिधियों ने बीमा कम्पनियों और कृषि से जुड़े अधिकारियों से बातचीत की है. गुजारिश की है कि 25 प्रतिशत बीमा क्लेम दिलाकर आगे की फसल का कटाई और उत्पादन के अनुसार आंकलन कर सम्पूर्ण बीमा क्लेम दिलाया जाए. गुजारिश के साथ चेतावनी भी दी है कि अगर बीमा कंपनियों ने क्लेम सेटलमेंट में कोई गलत आधार लेने का प्रयास किया, तो भारतीय किसान संघ इसके लिए अलग से आंदोलन (bks to protest pan india)चलाने से गुरेज़ नही करेगा.