छबड़ा (बारां). छबड़ा के गुगोर पार्वती नदी पर सैकड़ों साल पुराना बीजासन माता का मंदिर है. इस मंदिर में इन दिनों मेला परवान पर है. इस मेले में राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों से प्रतिदिन हजारों भक्त आ रहे हैं. माता के दर्शन और पूजा करने के लिए रोजाना सुबह से ही भक्तों की लम्बी-लम्बी कतार लगना शुरू हो जाती है.
छबड़ा के बिजासन माता मंदिर में मेले का आयोजन टोंक में रियासत काल ही इस गुगौर माता के मंदिर की मान्यता है. भक्त यहां सच्ची श्रद्धा से जो भी मन्नत मांगते हैं, वो माँ के आशीर्वाद से पूरी हो जाती है. पंचायत के तत्वाधान में प्रत्येक साल यहां 15 दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है. मेले में चकरी, झूला, सर्कस, मौत का कुआँ और नृत्य के अलावा कई तमाम तरह के मनोरंजन के साधन उपलब्ध रहते हैं.
दिग्विजय सिंह की कुलदेवी हैं बीजासन माता
बीजासन माता मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के परिवार की कुलदेवी हैं. दिग्विजय सिंह हर साल यहां अपने परिवार के साथ आते हैं. इस दौरान वे माता के दर्शनों के अलावा पूजा-अर्चना भी करते हैं.
काफी सालों पहले भक्तों की ओर से माता को खुश करने के लिए बकरे की बलि दी जाती थी. धीरे-धीरे यह परंपरा समाप्त हो गई है. बताया जाता है कि माता बीजासन पहले गुगोर गांव के समीप बने किले में विराजमान थीं. लेकिन किले में मांस, मदिरा के सेवन और अन्य गलत गतिविधियों के चलते माता क्रोधित होकर वहां से चली गईं. इसके बाद माता गुगौर पार्वती नदी के पास पहाड़ी पर चली गई. पूर्व में यहां माता जी का चबूतरा था, लेकिन आज यहां एक विशालकाय मंदिर बन चुका है.
गुगौर किला वर्षों पूर्व छबड़ा टोंक रियासत में आता था. छबड़ा में टोंक के नवाब रहा करते थे. आज भी उनके परिवार के लोगों की कुछ भूमि छबड़ा में है. वहीं गुगौर स्थित किले में वर्षों खींची राजाओं का राज रहा है. देख-रेख के अभाव में किला खंडहर में तब्दील हो गया है.
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बता दें कि राजस्थान और मध्य प्रदेश की बॉर्डर पर स्थित गुगौर पार्वती नदी दो राज्यों को जोड़ती है. पिछली सरकार की ओर से इस नदी पर 16 करोड़ रुपए की लागत से ओवरब्रिज बनने की स्वीकृति हो चुकी है. इस ओवरब्रिज बनने से जहां दोनों राज्यों के बीच आवागमन आसान होगा. गौरतलब है कि बारिश के समय 2-3 माह तक रास्ता बंद हो जाता है.