बांसवाड़ा.कोरोना वायरस आज के समय में वैश्विक महामारी बन चुकी है, इसके संक्रमण को रोकने के लिए पूरा विश्व भरसक प्रयास कर रहा है. वहीं, इसके संक्रमण से अब ग्रामीण इलाका भी नहीं बच पाया है. इसके विपरित कुछ ऐसे भी गांव हैं, जहां के युवाओं के गांव की कमान अपने हाथों में संभाली और आज तक उनकी सूझ-बूझ से गांव कोरोना के संक्रमण से दूर रहा. ऐसा ही एक एक सेनावासा, जो बांसवाड़ा के घाटोल पंचायत समिति के अंतर्गत आता है. जब इसकी ग्राउंड रिपोर्ट जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम गांव पहुंची तो ये सारी बातें सच साबित हुई.
दरअसल, महामारी के इस दौर में शहर के मुकाबले गांव में सुविधाओं की बखूबी कमी और आर्थिक तंगी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है. जिसके चलते गांव के लोगों ने मास्क के स्थान पर गले में गमछे ही लटकाए नजर आते है. इतना ही नहीं गांव के लोग सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए न केवल खुद को बल्कि गांव के लोगों को भी बचाने का प्रयास में भी जुटे हुए है. यही कारण है कि जयपुर राजमार्ग पर स्थित सेनावासा गांव एक प्रकार से सेना की छावनी बन गई है.
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बता दें कि करीब साढ़े चार हजार की आबादी वाले इस ग्राम पंचायत में आसपास के चार माजरे ढाणी भी शामिल है. राजमार्ग पर होने के कारण यहां तमाम तरह की फैसिलिटी भी देखी जा सकती है. इस बीच मार्च में जैसे ही कोरोना महामारी का नाम आया, पंचायत के लोगों ने विशेष प्रबंध शुरू कर दिए. संक्रामक बीमारी होने के कारण पंचायत के लोगों ने कोविड-19 के दिशा-निर्देश की पालना के लिए आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए. इसके साथ ही सभी गली-मोहल्लों से लेकर बाजार तक को पूर्णतया बंद कर दिए गए.
बाहरी लोगों पर नजर
इस दौरान सरपंच गणपत राव कटारा और उप सरपंच हरीश कलाल ने गांव के प्रमुख लोगों से संपर्क करते हुए सरकारी कर्मचारियों के जरिए प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभाला और गांव के करीब 20 से अधिक युवाओं की टीम बनाकर गली-मोहल्लों के निगरानी शुरू की गई. इस बीच कोरोना वायरस की भयावहता को देखते हुए लोगों ने भी इस पहल को सपोर्ट किया. गांव से बाहर आने-जाने लोगों की बात हो या बाहरी व्यक्ति की स्क्रीनिंग से लेकर होम क्वॉरेंटाइन की बात हो, इन सभी पर ग्रामीणों का पूर्णतया सहयोग मिला. वहीं, 3 महीने में यहां करीब 60 से अधिक लोगों को होम क्वॉरेंटाइन किया गया.
प्रचार-प्रसार के साथ-साथ हर घर को करवाया गया सैनिटाइज
पंचायत प्रशासन की ओर से गंभीरता को देखते हुए बचाव के लिए पूरी पंचायत के हर घर को सैनिटाइज कराया गया. लोगों को इससे सतर्कता बरतने और घरों में महफूज रहने के लिए प्रचार-प्रसार भी किया. इस दौरान करीब 10-15 दिन तक लगातार हर गली-मोहल्ले तक सरपंच कटारा और उप सरपंच कलाल खुद ग्रामीणों को कोरोना के घातक परिणामों के बारे में बताते थे और उन्हें इससे बचाव को लेकर जागरूक करते रहे.