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बांसवाड़ा से भाजपा प्रत्याशी ने पहली बार माना, मुख्य मुकाबला बीटीपी से है

बांसवाड़ा लोकसभा सीट के इस बार मुकाबला कुछ दिलचस्प होता दिख रहा है. जहां एक तरफ मतदान होने से पहले भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे थे. वहीं भाजपा के प्रत्याशी ने खुद स्वीकार किया कि उनका मुकाबला बीटीपी प्रत्याशी कांतिलाल रोत से है.

भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी कनक मल कटारा

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Published : May 12, 2019, 12:12 AM IST

बांसवाड़ा.बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल बीटीपी प्रत्याशी को अस्तित्व विहीन मानकर चल रहे थे. लेकिन मतदान के बाद जनता के रुख को देखते हुए बीटीपी की ताकत को स्वीकार करने लग गए हैं.

भाजपा प्रत्याशी कनकमल कटारा ने स्वीकारा कि उनका मुख्य मुकाबला बीटीपी से

ईटीवी भारत ने छह मई के दिन ही बीटीपी को मुख्य मुकाबले में होने का खुलासा कर दिया था. वहीं अब भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी कनक मल कटारा ने भी बीटीपी की ताकत का आकलन करते हुए माना कि इस चुनावी मुकाबले में उनके सामने बीटीपी है. वहीं कांग्रेस तीसरे नंबर के लिए मैदान में संघर्ष कर रही है.

हालांकि उनके सामने बीटीपी और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशी हैं. लेकिन मुख्य मुकाबला उनका बीटीपी से है. उन्होंने कहा कि अब तक की स्थिति को देखते हुए बीटीपी दूसरे स्थान पर दिख रही है. हालांकि 1 दिन में लोगों का मन कितना बदल जाता है. यह कह नहीं सकते. भारी मतदान को अपने पक्ष में बताते हुए कटारा ने कहा कि यहां 72 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है. यह पार्टी के पक्ष में दिखाई दे रहा है. अपनी जीत के प्रति आस्वस्थ होने के सवाल पर पूर्व राज्यसभा सदस्य कटारा ने कहा कि मोदी का कामकाज और पार्टी का समर्पण भाव उनकी जीत का मुख्य आधार होगी. मोदी के कामकाज को देश ही नहीं दुनिया ने देखा है. लोगों की मंशा एक बार फिर मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की है.

बता दें कि बीटीपी ने यहां से कांतिलाल रोत को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने तीन बार लोकसभा सदस्य रहे ताराचंद भगोरा पर विश्वास जताया है. हालांकि अब तक इस मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस को माना जा रहा था. लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 में डूंगरपुर की दो सीटों के जीतने के बाद बीटीपी काफी उत्साहित है. विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद से यह नई पार्टी आदिवासी समाज के युवाओं को अपनी और आकर्षित करने में सफल रही. त्रिकोण संघर्ष को देखते हुए फिलहाल कोई भी दावे के साथ कुछ भी कहने में असमर्थ है. सब की निगाह 23 मई को खुलने वाली ईवीएम पर टिकी हैं.

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