अलवर. बंधुआ मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश रविवार एक कार्यक्रम के तहत अलवर दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने आतंकवाद और भारत-पाकिस्तान के रिश्ते को लेकर वर्तमान सरकार पर तंज कसा. उन्होंने कहा की इस समय युद्ध देश हित में नहीं है.
बता दें, पुलवामा हमले के बाद सभी ने एक होकर आतंकियों पर हमला करने के लिए कहा और घटना का विरोध किया. लेकिन, अब सरकार सेना की कार्रवाई का पूरा श्रेय लेने में लगी हुई है. उन्होंने बताया कि भारत और पाकिस्तान की लड़ाई का फायदा अमेरिका उठा रहा है. दोनों ही देशों को महंगे-महंगे लड़ाकू विमान दिए जाने के बाद आपस में लड़ाया जा रहा है.
अग्निवेश ने कहा कि वर्तमान में आतंकवाद की मुख्य जड़ लोगों को आपस में धर्म के नाम पर लड़ाना है जो पिछले 5 साल में सरकार करती आई है. उन्होंने कहा कि भारत में हर दिन 7 साल बच्चे भूखमरी से मर रहे हैं. इससे बड़ा आतंकवाद कोई नहीं हो सकता. 5 साल में जो हिंसा का माहौल बना है वो इतिहास में कभी नहीं बना. उन्होंने कहा कि देश की सेना पर गर्व है लेकिन, कश्मीर में जो दमन चक्र चल रहा है उसे नहीं चलाया जाना चाहिए. अपनी ही धरती पर आतंकवादी कैसे पैदा हो रहा है इसकी ओर सोचना चाहिए और बढ़ा चढ़ाकर बातें नहीं करनी चाहिए, रास्ते निकालने चाहिए. कश्मीर समस्या का समाधान होना चाहिए. विपक्ष ने एक स्वर में सेना और सरकार का समर्थन किया लेकिन, सरकार चुनावी फायदा लेने के लिए विपक्ष पर सेना का सहारा ना ले.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान शांतिप्रिय देश है मैंने स्वयं अपने इन वस्त्रों में पाकिस्तान भ्रमण करके आया. लेकिन, मुझे किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा और वही प्यार मोहब्बत मुझे वहां मिली जो हिंदुस्तान में मिलती है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की गलती की वजह से आज पाकिस्तान में आतंकवाद है. पाक ने अमेरिका की चाल में फंस कर आतंकवादियों को अपनी झोली में डाल दिया और कट्टरवाद पनपता गया और यह तालिबान पैदा हो गया जिससे पाक और अफगान को भी परेशान कर रहा है.
उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक अभिशाप है और आतंकवाद को पनाह देना सबसे बड़ा खतरा है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, अफगान के प्रधानमंत्री तीनों जनों को बैठकर आपस में बात करनी चाहिए और आतंकवाद को खत्म करने पर सहमति बनानी चाहिए. कश्मीर का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि मजहब के आधार पर एक खास समुदाय को टारगेट नहीं करना चाहिए और एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए. जिसमें सरकार द्वारा आतंकवाद को खत्म करने के लिए प्रयास, समाधान और क्या रणनीति तय होगी इस पर देश को बताना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आज 20 साल का जवान आतंकवादी बन रहा है. आखिर उनका गुस्सा क्या है? उसको समझना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक मजहब के आधार पर किसी को भी आतंकवादी घोषित करते हुए चले जाएंगे तो निश्चित ही आतंकवाद खत्म नहीं होगा. बल्कि नौजवान गलत राह पर चले जाएंगे. पुलवामा में सैनिकों पर हमला करने और सैनिकों पर पत्थरबाजी की घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह करना गलत है.
राम मंदिर के संबंध में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि राम मंदिर का कोई मामला नहीं है यह तो खड़ा किया गया है. उन्होंने कहा कि 1528 में राम मंदिर था बाद में उसे तोड़कर बाबर ने उसे मस्जिद बना दिया. उन्होंने कहा कि इतने पुराने मामले को लेकर एक गड़े मुर्दे उखाड़ना चाहिए. भारत में चप्पे-चप्पे पर देखोगे तो मंदिर मिलेंगे. उन्होंने पुरानी बातों को खत्म कर नए सिरे से शुरू करने की पहल करनी चाहिए.
वहीं, बंधुआ मजदूरों का पक्ष लेते हुए अग्निवेश ने कहा कि भारत में अभी भी 50 करोड़ बंधुआ मजदूर हैं. जिन्हें रोजगार की भी कोई गारंटी नहीं है कि कितने दिनों तक उनका रोजगार रहेगा. बंधुआ मजदूरों की 50 करोड़ की संख्या को श्रम मंत्रालय के सामने भी मैंने पेश किया जिसका उन्होंने समर्थन भी किया है.
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि आज अमीर आदमी और अमीर हो रहा है और गरीब आदमी और गरीब. वर्ल्ड इकोनामिक में जहां संसार के 26 लोगों के पास आधी आबादी से भी अधिक धन बताया गया है वहीं भारत में 9 व्यक्तियों के पास इतनी पूंजी है कि आधी आबादी के जितने भी उनके पास मौजूद है. लेकिन, इसका लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है. यहीं से भेदभाव का दौर शुरू होता है. यदि गरीबों को साथ में लेकर चला जाए और सरकारी नौकरी कर रहे एक चपरासी के वेतन के बराबर यदि बंधुआ मजदूरों को भी दिया जाए तो यह अपने आप में बराबरी का हक होगा.
इधर, स्वामी अग्निवेश के संबोधन के दौरान कार्यक्रम में अलवर सांसद डॉक्टर करण सिंह यादव, राजगढ़ विधायक जोहरी लाल मीणा, कांग्रेसी नेता श्वेता सैनी सहित सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी जीवन सिंह मालवीय और सुखविंदर सिंह तायल मौजूद रहे. जिन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सद्भावना को लेकर जोर दिया वहीं मास्टर हरी नारायण सैनी की स्मृति में अपने विचार रखें.