सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली अलवर.जिले सहित पूरे प्रदेश में Right to Health Bill के विरोध में निजी अस्पताल हड़ताल पर हैं. सभी निजी अस्पतालों के बंद होने के कारण अब मरीज सरकारी चिकित्सालयों के भरोसे हैं. लेकिन बीते कुछ समय से सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भी निजी अस्पतालों के चिकित्सकों के समर्थन में उतर आए हैं और उनके कार्य बहिष्कार से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है. वहीं, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने उक्त समस्या पर कहा कि डॉक्टरों की सभी मांगे मानी गई है. ऐसे में अब डॉक्टरों को सरकार से सीधे वार्ता करनी चाहिए. वार्ता से ही समस्या का समाधान संभव है.
अलवर सहित पूरे प्रदेश में डॉक्टर राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. सभी जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन, ज्ञापन व जुलूस निकालने की प्रक्रिया जारी है. कई जगहों पर डॉक्टरों और पुलिस के बीच हाथापाई के मामले भी सामने आ चुके हैं. विधानसभा घेराव से लेकर डॉक्टर सरकार को घेरने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. लेकिन उसके बाद भी सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
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वहीं, निजी अस्पताल बंद हैं. ऐसे में मरीज इलाज के लिए सरकारी अस्पताल पहुंच रहे हैं. लेकिन सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टर नहीं हैं और इसके पीछे की वजह यह है कि अब सरकारी चिकित्सक भी निजी अस्पतालों व डॉक्टरों के समर्थन में उतर आए हैं. साथ ही दो घंटे का कार्य बहिष्कार कर रहे हैं. इसके कारण आम लोगों को पेरशानी हो रही है. जिले के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के अलावा दौसा, भरतपुर, रेवाड़ी सहित कई जिलों में कमोबेश यही स्थिति है. यहां बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं. अस्पतालों के खुलने के साथ ही मरीजों की लंबी-लंबी कतारें लग जा रही हैं.
इधर, कुछ परेशान मरीजों ने ईटीवी भारत से अपनी समस्याएं साझा की. उन्होंने कहा कि हड़ताल के चलते उन्हें बहुत दिक्कतें पेश आ रही हैं. निजी अस्पताल बंद हैं. ऐसे में उनके पास केवल व केवल सरकारी अस्पताल ही एक मात्र विकल्प बचा है, लेकिन वहां भी चिकित्सक समय पर नहीं आ रहे हैं. मौजूदा आलम यह है कि कई मरीजों को समय पर इलाज न मिलने के कारण उनकी मौत तक हो गई.वहीं, मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि डॉक्टरों की सभी बातें मान ली गई हैं. डॉक्टरों को भी अब हठ छोड़कर सरकार से वार्ता करनी चाहिए. डॉक्टर ने कहा था कि 50 बेड से अधिक बेड वाले अस्पतालों पर ये बिल लागू होना चाहिए. उसे भी मान लिया गया है. ऐसे में अब आम लोगों की भलाई के लिए डॉक्टरों को सरकार से वार्ता के लिए सामने आना चाहिए.