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स्पेशल स्टोरी: अलवर का ये सरकारी स्कूल बना मिसाल...निजी स्कूलों को भी देता है मात

अलवर जिले के उमरैण में स्थित सरकारी स्कूल आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है. 6 महीने के भीतर ये स्कूल अपनी बदली तस्वीर और सुविधाओं के चलते ओरों के लिए प्रेरणादायी बन चुका है. ये स्कूल ना केवल शिक्षा के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं, निजी स्कूलों को भी अपनी विशेषताओं की बदौलत मात दे रहा है. देखिए अलवर से स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Dec 14, 2019, 9:48 PM IST

Updated : Dec 14, 2019, 9:54 PM IST

Model school in alwar, अलवर की मॉडल स्कूल
अलवर की सरकारी स्कूल बनी मॉडल स्कूल

अलवर. जिले के उमरैण में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों और शिक्षकों ने छह महीने पहले सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनका स्कूल कभी एक मॉडल स्कूल के रूप में अपनी अलग पहचान बनाकर मिसाल पेश करेगा. मात्र 6 महीने के भीतर ये स्कूल नए बदलाव के बाद अब निजी स्कूलों को ना केवल मात दे रहा है. बल्कि, अपनी सुविधाओं और विशेषताओं के चलते हर किसी की जुबां पर भी छाया हुआ है. स्कूल की बदली तस्वीर की चर्चा हर तरफ फैलने के साथ ही अब अपने बच्चों को निजी स्कूल से वापस सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए अभिभावक संपर्क करने लगे हैं.

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, उमरैण का कायाकल्प समग्र शिक्षा अभियान के इंजीनियर राजेश लवानिया की क्रिएटिव सोच के चलते संभव हो पाया है. उन्होंने सहगल फाउंडेशन से आर्थिक मदद और ग्रामीणों से चंदा उगा कर इस स्कूल को मॉडल स्कूल में तब्दील कर दिया. इस स्कूल में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम डवलप किया गया है. जिससे बच्चों को पानी के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ेगा. स्कूल में बारिश के पानी को जमा कर उसको ही सालभर उपयोग में लिया जाएगा. स्कूल में टायलेट स्वच्छ भारत अभियान की परिकल्पना को साकार करती दिखाई देती है. यहीं नहीं छात्राओं के टायलेट को स्वच्छता वाहनी के बस के रूप में नया लुक भी दिया गया है.

6 महीने पहले जर्जर और खस्ताहाल थी स्कूल
स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का कहना है कि 6 महीने पहले जब उन्होंने यहां एडमिशन लिया था, तब उन्हें उम्मीद नहीं थी कि स्कूल का इस तरह से कायाकल्प होगा. छात्राओं ने बताया उन्होंने 11वीं क्लास में एडमिशन लिया था, तब यह स्कूल जर्जर और खस्ताहाल था, गंदगी फैली रहती थी. लेकिन आज इस स्कूल की तारीफ ही हर जगह सुनने को मिलती है.

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जानकारी के मुताबिक इस सरकारी स्कूल में पहले ऐसा एक भी कमरा नहीं था जिसकी छत टपकती नहीं हो. स्कूल में बालिकाओं के शौचालय की भी व्यवस्था नहीं थी. लेकिन, बदली तस्वीर के बाद ये स्कूल अब किसी पर्यटन स्थल जैसा दिखता है. पूरे स्कूल भवन और परिसर को रिनोवेट किया गया और बारिश के पानी को बचाने के लिए रिचार्ज वैल बनाए गए हैं. छतों के पानी को वाटर हार्वेस्टिंग से जोड़ा गया है. स्कूल की दीवारों पर अलवर शक्ति एक्सप्रेस का चित्रण किया गया है. दूसरी ओर युवा शक्ति एप दर्शाया हुआ है, जो डिजिटल युग में बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है.

स्कूल की दीवारों पर गांधीजी के आदर्श जीवन को दर्शाया
स्कूल की दीवारों पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जन्म शताब्दी पर उनके आदर्श जीवन को दर्शाया गया है. स्कूल में बना जयसमंद का चित्र और होपसर्कस का चित्र सेल्फी प्वाइंट बना हुआ है. इसके अलावा जिला कलेक्टर के शक्ति अभियान को प्रदर्शित करते हुए युवाओं को संदेश देते हुए कई स्लोगन लिखे गए हैं.

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अभी से संपर्क में नए एडमिशन के लिए अभिभावक
स्कूल के नए रूप और डिजायन को देखने के आसपास के छात्र और उनके अभिभावक पहुंच रहे हैं और अभिभावक स्कूल के स्टाफ से मिलकर अगले सत्र में अपने बच्चो को निजी स्कूल के बजाय इस स्कूल में पढ़ाने की बात कहने लगे है. फिलहाल स्कूल में 369 बच्चों का नामांकन है.

Last Updated : Dec 14, 2019, 9:54 PM IST

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