अलवर. जिले के उमरैण में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों और शिक्षकों ने छह महीने पहले सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनका स्कूल कभी एक मॉडल स्कूल के रूप में अपनी अलग पहचान बनाकर मिसाल पेश करेगा. मात्र 6 महीने के भीतर ये स्कूल नए बदलाव के बाद अब निजी स्कूलों को ना केवल मात दे रहा है. बल्कि, अपनी सुविधाओं और विशेषताओं के चलते हर किसी की जुबां पर भी छाया हुआ है. स्कूल की बदली तस्वीर की चर्चा हर तरफ फैलने के साथ ही अब अपने बच्चों को निजी स्कूल से वापस सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए अभिभावक संपर्क करने लगे हैं.
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, उमरैण का कायाकल्प समग्र शिक्षा अभियान के इंजीनियर राजेश लवानिया की क्रिएटिव सोच के चलते संभव हो पाया है. उन्होंने सहगल फाउंडेशन से आर्थिक मदद और ग्रामीणों से चंदा उगा कर इस स्कूल को मॉडल स्कूल में तब्दील कर दिया. इस स्कूल में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम डवलप किया गया है. जिससे बच्चों को पानी के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ेगा. स्कूल में बारिश के पानी को जमा कर उसको ही सालभर उपयोग में लिया जाएगा. स्कूल में टायलेट स्वच्छ भारत अभियान की परिकल्पना को साकार करती दिखाई देती है. यहीं नहीं छात्राओं के टायलेट को स्वच्छता वाहनी के बस के रूप में नया लुक भी दिया गया है.
6 महीने पहले जर्जर और खस्ताहाल थी स्कूल
स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का कहना है कि 6 महीने पहले जब उन्होंने यहां एडमिशन लिया था, तब उन्हें उम्मीद नहीं थी कि स्कूल का इस तरह से कायाकल्प होगा. छात्राओं ने बताया उन्होंने 11वीं क्लास में एडमिशन लिया था, तब यह स्कूल जर्जर और खस्ताहाल था, गंदगी फैली रहती थी. लेकिन आज इस स्कूल की तारीफ ही हर जगह सुनने को मिलती है.
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