अजमेर.पंचायत सहायकों का कहना है, कि उन्हें मनरेगा श्रमिक से भी कम मानदेय मिलता है. जिस कारण आर्थिक तंगी की वजह से राज्य में करीब 70 पंचायत सहायक आत्महत्या कर चुके हैं.
पंचायत सहायकों ने बताया, कि कई सालों तक उन्होंने विद्यार्थी मित्र के रूप में अपनी सेवाएं दीं. उसके बाद पूर्व वसुंधरा सरकार ने उन्हें पंचायत सहायक के रूप में लगाया था. पूर्व वसुंधरा सरकार ने उनका मानदेय नहीं बढ़ाया और ना ही उन्हें नियमित किया. वहीं सरकार में आने से पहले कांग्रेस ने सरकार आने पर 90 दिन में उन्हें नियमित करने का वादा किया था, लेकिन गहलोत सरकार भी अपना वादा नहीं निभा रही है.