राजस्थान

rajasthan

ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित 11 साल के मासूम ने संथारा ले त्यागे प्राण, गाजे-बाजे से निकली अंतिम यात्रा

अजमेर में एक 11 साल के मासूम ने संथारा ले प्राण त्याग दिए. भव्य नाम के इस बालक को ब्रेन ट्यूमर था. इलाज के लिए कई बड़े चिकित्सकों के चक्कर लगाने के बाद मासूम ने संथारा लिया. शुक्रवार को भव्य की अंतिम यात्रा गाजे-बाजे के साथ निकाली गई.

By

Published : Feb 10, 2023, 4:04 PM IST

Published : Feb 10, 2023, 4:04 PM IST

11 year boy dies after Santhara in Ajmer, last rites took place with music band
ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित 11 साल के मासूम ने संथारा ले त्यागे प्राण, गाजे-बाजे से निकली अंतिम यात्रा

अजमेर. जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे कैंसर पीड़ित 11 वर्षीय मासूम ने गुरुवार रात को संथारा लेकर अपने प्राण त्याग दिए. सबसे कम उम्र में संथारा लेने का प्रदेश का यह पहला मामला है. शुक्रवार को मासूम का परंपरा अनुसार अंतिम संस्कार किया गया.

मासूम के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. आंखों में आंसू लिए लोगों ने संथारा लेने वाले मासूम के लिए प्रार्थना की. जानकारी के अनुसार 11 वर्षीय भव्य चंगेरिया 4 वर्ष से ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहा था. चिकित्सकों ने जब हाथ खड़े कर दिए, तब भव्य ने संथारा लेने की इच्छा जताई. संथारा लेने से पहले भव्य ने अपनी मां को कहा था कि मेरे जाने पर रोना मत. शुक्रवार को संथारा लेने के बाद जैन धर्म के रीति-रिवाजों के अनुसार विकुंठी में बैठाकर गाजे बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई. अंतिम यात्रा में जैन समाज के लोगों के साथ महिलाएं भी काफी संख्या में शामिल थीं.

पढ़ें:बुजुर्ग दंपती ने एक साथ लिया 'संथारा', पति ने पहले छोड़ा संसार, पत्नी भी तैयार

जानकारी के मुताबिक अजमेर के जेएलएन अस्पताल में वेंटिलेटर पर भर्ती भव्य के बारे में जब चिकित्सकों ने बताया कि अब उनके हाथ में कुछ नहीं है, तब परिजनों के पैरों तले जमीन सरक गई. भव्य को घर लाया गया. बताया जा रहा है कि भव्य ने पहले ही परिवार के लोगों से संथारा लेने की इच्छा जताई थी. भव्य को महासती सरलेश कंवर, सुशीला कंवर और विमलेश कंवर ने जैन समाज की रस्म के मुताबिक संथारा दिलवाया.

पढ़ें:85 वर्षीय शैतानबाई का संथारा पचकान, डोली निकाल मनाया गया मृत्यु महोत्सव

कई बड़े चिकित्सकों से करवाया इलाज: जैन समाज के पदाधिकारी सूर्य प्रकाश गांधी ने बताया कि भव्य और उसके माता-पिता की धर्म के प्रति गहरी भावना और आस्था रही है. भव्य की बुआ मनोहर कंवर भी जैन साध्वी हैं. परिवार में जैन धर्म के धार्मिक क्रियाकलाप होते आए हैं. इसका प्रभाव भव्य पर भी था. 11 वर्षीय इकलौते बेटे के जाने से पिता महावीर चंगेरिया को काफी दुख है. उन्होंने बताया कि वे भव्य को इलाज के लिए कई बड़े चिकित्सकों के पास लेकर गए थे. लेकिन भव्य को बीमारी से राहत नहीं मिली.

ABOUT THE AUTHOR

...view details