उदयपुर.रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक दिवसीय दौरे पर आज उदयपुर में होंगे. यहां पन्नाधाय की प्रतिमा का अनावरण करेंगे (Rajnath Singh to unveil Pannadhai Statue ). पन्नाधाय जिनकी कुर्बानी आज भी आंखों को नम और मस्तक को ऊंचा कर देती है. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि मेवाड़ की धरती का जब-जब जिक्र होता है .तब पन्नाधाय का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता है.क्योंकि पन्नाधाय ने स्वामी भक्ति और स्वाभिमान के लिए जो त्याग किया ऐसा और कोई दूसरा उदाहरण विश्व में नहीं मिलता (Pannadhai Statue in Kumbhalgarh). वचन पालन करते हुए उन्होंने अपनी ही संतान की कुर्बानी दे दी.
पन्नाधाय महाराणा संग्राम सिंह शासन के समय धायमाता के रूप में रहती थी. चित्तौड़गढ़ में हुए रानी कर्मावती के जौहर के समय वो महारानी की प्रमुख सेविका के रूप में कार्य करती थी. रानी ने जौहर में प्रवेश करने से पूर्व अपने छोटे पुत्र उदय सिंह की सुरक्षा कादायित्व पन्नाधाय के हाथों में सौंप दिया. उन्हें पन्नाधाय पर पूरा विश्वास था जानती थीं कि वो वचन की खातिर कुछ भी कर सकती हैं. इस बीच कुछ ऐसा हुआ तो अप्रत्याशित तो नहीं लेकिन अविश्वसनीय था. दरअसल, चित्तौड़ किले पर दासी पुत्र बनवीर अपना अधिकार जमाना चाहता था. उसने अधिकार कर भी लिया. अधिकार जमाने के बावजूद भी बनवीर के मन में उदय सिंह को लेकर डर रहता था.