श्रीगंगानगर. पिछले 2 वर्षों में राज्य सरकार की ओर से अल्पसंख्यक वर्ग की अनदेखी करने के आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में अल्पसंख्यक मामलात विभाग के तहत आने वाले तमाम निगम और बोर्डों में गत 2 वर्षों से विकास कार्य बंद पड़े हैं.
इसका असर अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति बंद होने से उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा है. शिक्षण कार्य पर विपरीत असर पड़ने से छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ रहे हैं. सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए हायर एजुकेशन लोन की सुविधा बंद कर दी है, जिससे छात्र देश में या विदेश जाकर हायर एजुकेशन को पूरा नहीं कर पा रहे हैं.
वहीं उर्दू भाषा की तृतीय भाषा के रूप में मान्यता समाप्त करने की सरकार द्वारा की जा रही तैयारी और उर्दू टीचर की नियुक्ति भी नहीं होने से आक्रोश प्रकट किया है. अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार के मेडिकल विभाग द्वारा गत माह जो नियुक्तियां निकाली गई है. उसमें यूनानी डिग्रियों को मान्यता नहीं दी गई है. गत 2 वर्षों में अल्पसंख्यकों से जुड़े निगम और बोर्ड का गठन नहीं किया गया है. अल्पसंख्यक वित्त विभाग निगम की तमाम गतिविधियों पर विराम लगा हुआ है.
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उन्होंने कहा कि मदरसों में शिक्षा सामग्री और खेल सामग्री का वितरण बंद होने से अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र छात्राएं खेलों में भी भाग नहीं ले पा रहे हैं. मदरसों में शिक्षण कार्य कर रहे प्रबोधक और अन्य टीचर्स का वेतनमान राज्य सरकार द्वारा तृतीय श्रेणी शिक्षकों के बराबर नहीं है. वर्तमान में कोरोना काल में प्रदेश की सरकार ने सभी शिक्षण संस्थाओं में ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था की है, जबकि मदरसों को ऑनलाइन व्यवस्था से वंचित रखा है. जिससे ढाई लाख अल्पसंख्यक बच्चों का भविष्य अंधकार में डूब चुका है. ऐसे में अल्पसंख्यकों के हितों को ध्यान रखते हुए सरकार इन मांगों पर ध्यान देकर जल्दी पूरा करें अन्यथा मोर्चा सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगा.