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SPECIAL : सरहदों के दर्द के बीच सोशल मीडिया बना 'फरिश्ता', 72 साल बाद अपनी बिछुड़ी बहन से मिलेगा भाई

सन 1947 में देश को आजादी के साथ-साथ सरहदों के बंटवारे का दर्द भी मिला. कई परिवार जुदा होने के बाद शायद फिर कभी नहीं मिले. लेकिन उस दर्द भरी तस्वीर को एक भाई ने अपने जहन में जिंदा रखा और 72 साल बाद अपनी प्यारी बहन को देख पाया...और ये संभव हुआ सोशल मीडिया के जरिए. श्रीगंगानगर से देखिए ये खास रिपोर्ट....

Partition of India, Social Media, करतारपुर कॉरिडोर, 72 साल बाद भाई बहन
brother and sister will meet after 72 years

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Published : Dec 12, 2019, 11:31 PM IST

श्रीगंगानगर. जिले के रायसिंहनगर के रहने वाले रणजीत सिंह का परिवार 72 साल पहले कश्मीर में 1947 में हुए कबाइली हमले में बिछड़ गया था. उस समय परिवार के कुछ सदस्य भारत में रह गए तो कई सदस्य पाकिस्तान चले गए. लेकिन अब यह परिवार 72 साल बाद एक हुआ है.

ये कहानी श्रीगंगानगर जिले के रायसिंहनगर निवासी रणजीत सिंह की है, जो अब पाकिस्तान में रह रही अपनी बहन सकीना से जल्द मिलेंगे. 1947 में कश्मीर में हुए कबाइली हमले में इनका परिवार बिछड़ गया था. जिसमें कुछ सदस्य भारत में रह गए थे तो कई पाकिस्तान चले गए थे.

सरहदों का दर्द : 72 साल बाद अपनी बिछुड़ी बहन से मिलेगा एक भाई, सोशल मीडिया बनी जरिया

सोशल मीडिया ग्रुप चलाने वाले हरपाल सिंह सुदन ने बताया, कि करीब 15 दिन पहले रणजीत सिंह ने उनसे अपनी बिछुड़ी बहन के बारे में चर्चा की थी. उन्होंने रणजीत सिंह की आवाज रिकॉर्ड कर व्हाट्सएप ग्रुप 'हमारा पुंछ परिवार' में डाल दी. ग्रुप में चर्चा के दौरान पीओके में रह रहे जुबेर ने रणजीत सिंह की बिछुड़ी बहन का पता लगाया और दोनों की बात करवाई.

लेकिन 1947 में कबायली हमला हुआ तो उनके परिवार को वहां से भागना पड़ा. उस समय रणजीत सिंह की 4 साल की बहन भज्जो उनसे बिछड़ गई थी. किसी तरीके से रणजीत सिंह का परिवार राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में आकर बस गया, वहीं उनकी बिछुड़ी बहन पाकिस्तान में चली गई.

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ये है बिछड़ने की कहानी
रणजीत सिंह बताते हैं, कि वे विभाजन से पहले कश्मीर रियासत में मुजफ्फराबाद के दुदरवेना गांव में रहते थे. वहां के लंबरदार मतवाल सिंह उनके दादा थे. जब 1947 में कबायली हमला हुआ तो मतवाल सिंह का परिवार भी अन्य लोगों की तरह वहां से निकला, लेकिन उस समय 4 साल की उनकी पोती भज्जो उनसे बिछड़ गई.

मतवाल सिंह का परिवार अब रायसिंहनगर में रहता है. इसमें मतवालसिंह का पोता रणजीत सिंह तथा उनका परिवार है. बिछड़ी उसकी बड़ी बहन भज्जो अब पाकिस्तान में सकीना है. जिन्होंने एक शेख से उसकी शादी कर ली और उनके आज चार संतान भी हैं.

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ऐसे हुआ मिलन
एडवोकेट हरपाल सिंह सुदन ने बताया कि करीब 15 दिन पहले रणजीत सिंह बाबा उसके घर आए थे. तब उन्होने उनसे चर्चा की थी कि वे एक व्हाट्सएप ग्रुप चला रहे हैं जिसमें पीओके व कश्मीर के पुंछ में रहने वाले लोग भी जुड़े हैं. तब रणजीत ने 1947 में अपनी बहन के बिछड़े होने का जिक्र किया. तब हरपाल सिंह ने उनकी बात को रिकॉर्ड करके अपने व्हाट्सएप ग्रुप 'हमारा पुंछ परिवार' में डाला.

यह ग्रुप रोमी शर्मा नाम का एक शख्स चलाता है. जिसमें पीओके में रह रहे जुबेर भी जुड़े हैं, जिन्होंने वीडियो देखने के बाद रणजीत सिंह की बहन को खोजना शुरू किया. तब पता चला कि पाकिस्तान में रह रहा सकीना का परिवार लंबरदार मतवाल सिंह का था. यह जानकारी भज्जो अब सकीना के पुत्र को मिली. फिर शुरू हुआ बचपन की यादों का सिलसिला.

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दोनों परिवारों में बातचीत शुरू हुई. व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए पूरी जानकारी मिलने पर रणजीत सिंह ने भी अपनी बहन को पहचान लिया. परिवार को हरपाल सिंह की मौजूदगी में दोनों परिवारों की वीडियो कॉलिंग हुई. अब जल्द ही दो देशों के बीच मिलने की कड़ी बने करतारपुर कॉरिडोर पर ही दोनों की 72 साल बाद मुलाकात संभव हो सकेगी.

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