नागौर. जिले के मकराना से निकलने वाला सफेद संगमरमर अपनी चमक देश और दुनिया में बिखेर रहा है, लेकिन नागौर जिले के ही दूसरे छोर पर धरती से निकलने वाला एक और पत्थर आज देश में दर्जनभर से ज्यादा उद्योगों की मूलभूत जरूरत बन गया है. इस पत्थर को लाइम स्टोन के नाम से जाना जाता है. नागौर में खींवसर इलाके की खदानों से निकलने वाला लाइम स्टोन उच्च गुणवत्ता का माना जाता है. इसलिए देशभर में आज इसकी डिमांड बनी हुई है. सीमेंट, कांच, कपड़ा, चीनी उद्योग से लेकर करीब दर्जनभर उद्योग ऐसे हैं, जिनकी आधारभूत जरूरत नागौर का लाइम स्टोन है. एक अनुमान के मुताबिक देश का करीब 12 फीसदी लाइम स्टोन राजस्थान में निकलता है. इसमें नागौर की बड़ी हिस्सेदारी है.
जानकारों का कहना है कि नागौर जिले में खींवसर इलाके की खदानों से निकलने वाला लाइम स्टोन की गुणवत्ता देश के दूसरे हिस्सों से निकलने वाले लाइम स्टोन से काफी अच्छी है. इसलिए आज देशभर में नागौर के लाइम स्टोन की खासी मांग है. बताया जाता है कि यहां पाए जाने वाले लाइम स्टोन में 98 फीसदी कैल्शियम होता है, जबकि आयरन की मात्रा बिल्कुल नहीं होती है. इसलिए इसकी गुणवत्ता उच्च कोटि की मानी जाती है.
पढ़ें-स्पेशल: अलवर की मिट्टी से बनी मूर्तियां रखती हैं विशेष पहचान...कोरोना के चलते कामकाज ठप
खींवसर इलाके में कई ऐसी खदानें हैं, जहां सैंकड़ों फीट गहराई से लाइम स्टोन निकाला जा रहा है. नागौर में करीब 450 चूना भट्टे हैं, जहां खदानों से निकलने वाले लाइम स्टोन के भारी पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं और चूरा बनाया जाता है. हर एक भट्टे में करीब 300 से 400 मजदूर काम करते हैं. इसके अलावा खदानों से लाइम स्टोन निकालने की प्रक्रिया में भी काफी मजदूर लगे हुए हैं. ऐसे में नागौर का लाइम स्टोन उद्योग हजारों लोगों को रोजगार मुहैया करवा रहा है. मजदूरी के लिए बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से भी काफी लोग यहां आते हैं. इसके साथ ही चूना भट्टों में बड़ी मात्रा में कोयले की खपत भी होती है.
नागौर का लाइम स्टोन मुख्य रूप से सीमेंट प्लांट, कांच और मिट्टी के बर्तन निर्माण, रासायनिक और दवा उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन उद्योग, रासायनिक खाद उद्योग, स्टील उद्योग, चमड़ा उद्योग, कपड़ा उद्योग, कागज और चमड़े के उद्योग में प्रमुखता से काम मे लिया जाता है. इसके चलते कमोबेश देश के हर कोने में नागौर के लाइम स्टोन की खूब मांग रहती है. मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में नागौर के लाइम स्टोन की काफी खपत होती है.