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मरीजों तक 'संजीवनी' पहुंचाने वाले कार्मिक 2 महीने से मानदेय के इंतजार में, हाथों में छाले लिए शिद्दत से कर रहे ड्यूटी

मेडिकल कॉलेज में नए अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट में लगे संविदा कार्मिक एक मिशन के रूप में काम करते हुए ऑक्सीजन मरीजों तक पहुंचा रहे हैं. पहले जहां पर यह 8 घंटे की ड्यूटी करते थे, अब इनके ड्यूटी के घंटे भी बढ़ गए हैं. करीब 18 घंटे तक यह रोजाना ड्यूटी दे रहे हैं. तब जाकर पूरा काम हो रहा है. पहले जहां पर यह महज 500 सिलेंडर ही 24 घंटे में पहुंचा रहे थे. अब यह काम बढ़कर तीन गुना से भी ज्यादा हो गया है. ऐसे में इनके हाथों में भी छाले पड़ गए हैं.

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दो महीने से नहीं मिला मानदेय, हाथों में पड़ गए छाले

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Published : Apr 27, 2021, 8:45 PM IST

कोटा.कोरोना महामारी की दूसरी लहर में कोटा सहित पूरे देश भर में ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है. लेकिन मेडिकल कॉलेज कोटा के नए अस्पताल में जहां पर रोजाना 1,500 सिलेंडर की खपत हो रही है. इन सिलेंडरों को लगाकर मरीजों तक संजीवनी के रूप में ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है. यह पूरा काम अस्पताल के संविदा कार्मिक कर रहे हैं, जो कि नॉन स्टॉप मेहनत करते हैं. तब मरीजों तक यह ऑक्सीजन पहुंच रही है. इन लोगों की अगर 1 मिनट की देरी भी हो जाए तो मरीजों की सांसे फूल जाती हैं और उन्हें सांस लेने की तकलीफ शुरू हो जाती है.

दो महीने से नहीं मिला मानदेय, हाथों में पड़ गए छाले

बता दें, ये लोग एक मिशन के रूप में काम करते हुए ऑक्सीजन मरीजों तक पहुंचा रहे हैं. पहले जहां पर यह 8 घंटे की ड्यूटी करते थे, अब इनके ड्यूटी के घंटे भी बढ़ गए हैं. करीब 18 घंटे तक यह रोज ड्यूटी दे रहे हैं. तब जाकर पूरा काम हो रहा है. पहले जहां पर यह महज 500 सिलेंडर ही 24 घंटे में पहुंचा रहे थे. अब यह काम बढ़कर तीन गुना से भी ज्यादा हो गया है. ऐसे में इनके हाथों में भी छाले पड़ गए हैं. यहां तक कि एक कार्मिक के तो काम करते समय पैर पर सिलेंडर गिर गया. ऐसे में पैर में सूजन आ गई है, लेकिन अभी भी वह नहीं रुक रहा है. साथ ही ये लोग घंटों खड़े रहकर काम करते हैं. ऐसे में इनको पेट दर्द से लेकर हर शिकायत हो रही है, लेकिन यह किसी से कुछ कहते नहीं हैं. लगातार ही बेधड़क काम करने में जुटे हुए हैं.

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इन लोगों का कहना है, उन्हें मानदेय तो प्रशासन नहीं दिला पाया. लेकिन वह फिर भी मरीजों तक ऑक्सीजन पहुंचे इसके लिए जुटे हुए हैं. उनका कहना है, हम पूरी भरसक कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी मरीज के लिए ऑक्सीजन की कमी न हो, इसके लिए रात दिन हम जाग रहे हैं. साथ ही इन लोगों ने कहा, वे लगातार डबल ड्यूटी कर रहे हैं और काम काफी ज्यादा बढ़ गया है. कुछ लोग तो आने और जाने में समय भी बर्बाद नहीं करना चाहते हैं. ऐसे में वे अपने जो बचा हुआ टाइम है, उसमें अस्पताल में ही रेस्ट ले रहे हैं. यहां तक कि संक्रमण का खतरा इन लोगों पर भी बना हुआ है, लेकिन उसके बावजूद यह पूरी शिद्दत से अपनी जान लगाकर मरीजों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में जुटे हुए हैं.

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दिन भर में आती हैं 30 से ज्यादा गाड़ियां

ऑक्सीजन प्लांट से भी हर 45 मिनट में एक गाड़ी मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के लिए रवाना होती हैं, जिसमें 50 से ज्यादा सिलेंडर होते हैं. इनको उतारने का जिम्मा भी इन कार्मिकों के ही हवाले है. साथ ही खाली सिलेंडरों को भी यह वापस गाड़ी में भरते हैं. ऐसे में भारी सिलेंडर जहां पर एक आदमी उसे उठा नहीं सकता, ये लोग घंटों तक मेहनत कर इन सिलेंडरों को उठाने और वापस गाड़ी में चढ़ाने में जुटे रहते हैं. दिन भर में करीब 30 से ज्यादा गाड़ियां मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल पहुंचती हैं, जहां पर ये लोग सिलेंडरों को खाली करने में जुटे रहते हैं.

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हर मिनट में बदल रहे हैं सिलेंडर

मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में रोज 1,500 सिलेंडर ऑक्सीजन की खपत हो रही है. ऐसे में सिलेंडर बदलने और प्रेशर पूरा मरीजों का ऑपरेशन का पहुंचे. इस काम का भी जिम्मा इन्हीं लोगों के पास है. ये लोग सिलेंडर को प्लांट से कनेक्ट करते हैं. उसके बाद पूरे प्रेशर से यह ऑक्सीजन मरीजों तक पहुंचती है. ऐसे में जब हर मिनट में एक सिलेंडर खाली हो रहा है. ऐसे में ये लोग सिलेंडरों को खोलने से लेकर उन्हें लगाने में ही जुटे रहते हैं.

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दो महीने से नहीं मिला मानदेय, शहरवासियों ने बढ़ाया उत्साह

ऑक्सीजन प्लांट में सिलेंडरों को बदलने से लेकर पूरी मॉनिटरिंग का जिम्मा संविदा कार्मिकों के ऊपर ही है. ऐसे 24 संविदा कार्मिक पहले कार्य कर रहे थे, लेकिन ऑक्सीजन की खपत बढ़ते देख नौ नए कार्मिकों को ड्यूटी पर लगाया है. ऐसे में 24 घंटे 33 संविदा कार्मिक पूरी व्यवस्था को देख रहे हैं, जिन्हें दो महीने से मानदेय भी नहीं मिला है. लोगों के लिए सोशल मीडिया के जरिए अपील जारी की गई थी, जिसके बाद मानदेय दिलाने के लिए भी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन कार्य कर रहा है. साथ ही शहरवासियों ने भी इनको उत्साह बढ़ाने के लिए राशि एकत्रित कर पहुंचाई है.

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