कोटा. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में 24 अप्रैल की रात को करीब 3 घंटे तक बिजली बंद रही थी. इसके चलते एक महिला मरीज की जान चली गई (Death Due To Power Failure In Kota Hospital). अब मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने के चलते ही मौत हुई. मरीज नंदू बाई, रावतभाटा की रहने वाली थी. उनकी मौत के बाद परिजनों का वीडियो सामने आया है. जिसमें उन्होंने मौत के लिए अस्पताल को जिम्मेदार ठहराया है. कहा है कि अस्पताल की लापरवाही (Kota Medical College death case) के कारण उनकी मरीज ने तड़प तड़प कर जान गंवा दी. बेटी ने उन तीन घंटों की कहानी बयां की है. कहा है कि मां को तड़पता देख उन्होंने डॉक्टर, स्टाफ से लेकर सिक्योरिटी गार्ड और आम जनता से भी मदद मांगी, लेकिन कोई मदद को आगे नहीं आया. मां को खो चुकी बेटी ने कहा- ये तो हॉस्पिटल है. इंसान घर पर मरता तो समझते कि सुविधा नहीं है, लेकिन अस्पताल में तो सभी सुविधा होती है.
चिकित्सकों से गिड़गिड़ा रहीथी, नहीं मिली मदद : बेटी मधु मौर्य का कहना है कि मां नन्दू बाई को सीएससी रावतभाटा से उनकी तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज कोटा के लिए रेफर करवा कर लाए थे, वहां पर इमरजेंसी में उन्हें भर्ती कर दिया था. उनके बीपी, शुगर और ऑक्सीजन का लेवल कम बताया जा रहा था. उनका उपचार चल रहा था 3:00 बजे के आसपास शुगर डाउन होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर ले जाया गया. इसके बाद शाम को लाइट चली गई. इससे ऑक्सीजन की समस्या आने लगी. इस दौरान हम एंबू बैग से लगातार ऑक्सीजन दे रहे थे, कभी मैं कभी मेरा भाई देता. ये काम करीब 10:30 तक चलता रहा है. इस बीच में सैकड़ों बार चिकित्सकों के पास गई और लाइट के बारे में उनसे पूछा. मेरी मां की तबीयत लगातार खराब होती जा रही थी. पूरे इमरजेंसी ब्लॉक में ही अंधेरा छाया हुआ था. सभी ने अपना मोबाइल की लाइट चालू की हुई थी. मेरी मां पसीना पसीना हो गई. ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से तड़पती रही.उनका शुगर लेवल मेंटेन नहीं रहा था। उनको लगातार घबराहट हो रही थी और हाथ पैर फेंक रही थीं. ऐसे में हम कभी उनके हाथ पकड़ते तो कभी पैर. मैं चिकित्सकों के हाथ जोड़ती रही, इस पर जो भी चिकित्सक वहां पर आता वह पल्स चल रही है कहकर वापस चला जाता.