कोटा. राज्य सरकार ने कोविड-19 के चलते सभी हॉस्टल को मार्च महीने में ही खाली करवा लिए थे, लेकिन अब सब कुछ धीरे-धीरे अनलॉक होने जा रहा है. ऐसे में जल्द ही स्कूल और कॉलेज खुलेंगे. इनके बाद हॉस्टलों में भी बच्चे रहेंगे, लेकिन राज्य सरकार के अधिकांश हॉस्टल ऐसे है. जिनमें सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं हो पाती है. सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के करीब 22 हॉस्टल कोटा जिले में कार्यरत हैं. इनमें करीब 1385 सीटें हैं. इसमें तीन कॉलेज स्तर के हैं. जबकि बाकी स्कूल स्तर के हॉस्टल है, जिनमें कक्षा 6 से 12वीं तक के विद्यार्थी रहते हैं.
कैसे होगी सोशल डिस्टेंसिंग की पालना हॉस्टल के 4 कमरों में ही 75 बच्चे, कैसे रोकेंगे संक्रमण...
सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के हॉस्टल की बात की जाए कोटा जिले में जहां पर 22 हॉस्टलों में 159 कमरे हैं. इनकी स्वीकृत संख्या भी 1385 स्टूडेंट हैं. ऐसे में हॉस्टल्स का औसत 9 बच्चे प्रति कमरे के अनुसार आ रहा है, तो कई ऐसे हॉस्टल में जिनके 4 कमरों में ही 75 बच्चों को रखा जाता है. इटावा के अनुसूचित जनजाति छात्रावास की बानगी की है. वहां इसी तरह की व्यवस्था है. इस अनुसार करीब 18 से 19 बच्चे एक कमरे में रुकते हैं. ऐसे में 3 फीट की दूरी बच्चों के बीच में रख पाना नामुमकिन है. क्योंकि जगह ही बच्चों के लिए कम पड़ती है.
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मेस में कैसे होगी डिस्टेंसिंग...
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के हॉस्टल में मेस संचालित होती है. जहां पर बच्चे एक साथ ही भोजन करते हैं. ऐसे में वहां पर भी किस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन की जाएगी. इस बारे में अभी कोई दिशा निर्देश जारी नहीं हुए हैं. यहां तक कि सभी हॉस्टल में शौचालय और बाथरूम एक जगह ही बने होते हैं. यह भी हॉस्टल वार्डन के लिए टेढ़ी खीर हो जाएगा.
सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के लिए स्टाफ भी जरूरी...
सरकार ने फिलहाल हॉस्टल्स को बंद ही रखा हुआ है, इनके लिए भी आवेदन लिए जा रहे हैं. ऐसे में 15 अगस्त को लॉटरी निकाली जाएगी. उसके बाद जब भी हॉस्टल खुलेंगे बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा. लेकिन जब इन्हें चालू किया जाएगा, तो कई तरह के अन्य उपाय भी उन्हें करने होंगे ताकि कोरोना का इन्फेक्शन आपस में नहीं फैले. क्योंकि बच्चे ज्यादा है और मॉनिटरिंग के लिए स्टाफ सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के पास कम है. साथ बच्चों के लिए सैनिटाइजर, मास्क और हॉस्टल को लगातार सैनिटाइज करवाने और कोरोना से बचाव के अन्य उपाय भी उन्हें करने होंगे.
घर से पढ़ाई, लेकिन ली जा रही है हॉस्टल फीस...
मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई स्थगित कर दी गई है. ऑनलाइन क्लासेज ही स्टूडेंट की हो रही है, लेकिन जो छात्र हॉस्टल में रहते हैं. उनसे फीस ली जा रही है. मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना का कहना है कि अभी स्टूडेंट की ऑनलाइन क्लासेज हो रही है. ऐसे में फीस भी उनसे ली जा रही है. फीस के साथ हॉस्टल की राशि है, वह भी ली जा रही है. इसके बारे में राज्य सरकार ने भी किसी तरह की कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए हैं. कोटा मेडिकल कॉलेज की बात की जाए तो यहां पर सिंगल रूम में ही रहते हैं. यूजी के जो 6 हॉस्टल मेडिकल कॉलेज परिसर में ही बने हुए हैं. उनमें 600 से ज्यादा स्टूडेंट रहते हैं. अभी केवल कुछ स्टूडेंट ही हॉस्टल में है, बाकी सब घरों से ही पढ़ाई कर रहे हैं.
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आदेशों का इंतजार है...
जेडीबी गर्ल्स कॉलेज की बात की जाए तो वहां पर स्टूडेंट के लिए 90 कैपेसिटी का हॉस्टल है, लेकिन उसमें क्षमता से कम ही छात्राएं अधिकांश रहती है. अभी खत्म होने सेशन में भी महज 49 छात्राएं ही हॉस्टल में थी. जबकि स्वीकृत संख्या ज्यादा है. यहां के प्राचार्य डॉ. अनिता कोठारी का कहना है कि सरकार ने भी किसी तरह की कोई दिशा निर्देश नहीं दिए हैं. किस तरह से बच्चों का एडमिशन हॉस्टल में अगले सत्र के लिए लिया जाएगा हमें आदेशों का इंतजार है.
कोरोना संक्रमित हॉस्टल बंद रहेंगे या चालू है तय नहीं...
गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज के पास भी 2 हॉस्टल रघुनाथ और जुबली हॉस्टल है. इसमें जुबली हॉस्टल में 38 कमरों की जगह 35 ही विद्यार्थी रहते हैं. जबकि रघुनाथ हॉस्टल में कमरे बड़े हैं. ऐसे में वहां पर 45 स्टूडेंट 28 कमरों में रहते हैं. गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज की प्राचार्य डॉ कंचना सक्सेना का कहना है कि बच्चों से 2200 रुपए फीस ली जाती थी. कोरोना के चलते अब आगे हॉस्टल बंद रखने हैं या चालू इस बारे में कोई दिशा-निर्देश नहीं है. अभी हम हॉस्टल समय प्रवेश भी नहीं ले रहे हैं.