कोटा.कोटाशहर में करोड़ों रुपए की लागत से बस स्टैंड का निर्माण (Kota Bus Stand) किया जा रहा है. यह बस स्टॉप आर्ट गैलरी के नजदीक बन रहा है. जहां पर पहले विरोध भी हुआ था. हालांकि अब जो बस स्टैंड बनाया जा रहा है उस पर भी बस संचालक रजामंद नहीं है. इसकी वजह सीमित जगह को बताते हैं.
बस संचालकों का कहना है कि स्टैंड के लिए महज 4480 स्क्वायर मीटर जगह मुहैया कराई गई है. तर्क है कि इस Limited Space में पूरी 750 बसें खड़ी नहीं हो पायेंगी. कोटा बस मालिक संघ का यह भी कहना है कि कोटा स्मार्ट सिटी की ही तर्ज पर निजी बस स्टैंड भी होना चाहिए.
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नाराजगी सरकार से है. कहते हैं करोड़ों रुपए का टैक्स हर महीने राज्य सरकार को देने के बावजूद सहूलियत की ख्वाहिश उनकी पूरी नहीं हो पा रही है. कोटा के चौराहों से ही दूसरे शहरों और कस्बों के लिए बसें जा रही हैं. नगर विकास न्यास (Urban Development Trust) के साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा राशि से ही बस स्टॉप तैयार कराया जा रहा है.
कैसे खड़ी होगी बसें?: बस मालिक संघ (Bus Owners Association Kota ) के अध्यक्ष सत्यनारायण साहू का कहना है कि बस स्टॉप बनाया सरकार की अच्छी नीति है और सरकार इसके लिए पैसा खर्च कर जनता की सुविधा के लिए कर रही है, लेकिन कोटा जिले से 750 बसों का संचालन होता है. कोटा में पार्किंग व्यवस्था बिल्कुल भी नहीं है.
शहर में जगह-जगह बस से खड़ी होती है, यह भी गलत है. नया बस स्टैंड काफी छोटा है. वो भी तब जब बस मालिक सवा करोड़ रुपए का टैक्स हर महीने देते हैं. ऐसे में सवाल है कि 128 गुना 35 मीटर की जगह में उनकी बसें कैसे खड़ी हो पायेंगी? हम मांग करते हैं कि जगह बढ़ाई जाए और अच्छी जगह पर बस स्टॉप बनाया जाए.
संचालन वहीं से हो जहां कोटा स्मार्ट सिटी बनी है. नए बन रहे बस स्टैंड में यात्रियों की सुविधाओं के लिए कैंटीन और अन्य व्यवस्थाएं की जा रही हैं. यहां पर कुछ हिस्से में शेड भी करवाया जाएगा. इसके अलावा टिकट विंडो भी बनाई जा रही है. सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम रहेंगे. कुल मिलाकर बस संचालक जरूरत और आवश्यकता के बीच के भेद को समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
बस स्टॉप बने चौराहे भी अस्त-व्यस्त: बस संचालक सुनील जैन कोटा की बनावट और अव्यवस्था का जिक्र करते हैं. कहते हैं शहर ही ऐसा है जहां पर अलग-अलग इलाकों से अलग-अलग जगह के लिए बसें संचालित की जाती हैं. सांगोद की बसें छावनी इलाके से चल रही हैं. झालावाड़ जाने वाली बसें एरोड्रम के नजदीक से चल रही है.
रावतभाटा व बिजोलिया की बसें घोड़े वाले बाबा चौराहा, इंद्रगढ़ व लाखेरी जाने वाली बसे सब्जीमंडी चौराहा, बारां और जयपुर जाने वाली नयापुरा चौराहे, श्योपुर, इटावा, मांगरोल व अंता जाने वाली बसें सीबी गार्डन के नजदीक से चल रही हैं. ऐसे में कोटा शहर में ही अलग-अलग बस स्टैंड हैं.
जहां पर यात्रियों को भी पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. मानते हैं कि इनको खत्म करने की सरकार की नीति अच्छी है. यहां दिक्कत जगह की है. यहां से इतनी तादाद में बसें नहीं संचालित हो पायेंगी. बस मालिक संघ के महासचिव विकास पांडे का कहना है कि पार्किंग की व्यवस्था भी पर्याप्त नहीं हो पाएगी.
बसें अस्त व्यस्त सी शहर में खड़ी रहेंगी. ऐसे में करोड़ों रुपए खर्च करने का कोई मतलब नहीं है. इससे समाधान भी नहीं निकल पा रहा है. उनका कहना है कि कोटा से बारां के बीच में ही 100 और इंद्रगढ़ व लाखेरी की तरफ 70 बसें चलती हैं. ऐसे में यह पूरी बसें ही इस बस स्टैंड पर नहीं आ पायेंगी.
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नाइट सर्विस की बसों के लिए भी आएगी दिक्कत: कोटा शहर में 750 में से 350 बसें नाइट होल्ड करती हैं. बस संचालक महेश कुमार शर्मा ने बताया कि यह बसें पहले की तरह ही सड़कों पर खड़ी रहेंगी. इसके अलावा नाइट सर्विस के स्लीपर कोच भी बड़ी संख्या में कोटा में चलते हैं. प्रतियोगी छात्रों का कोचिंग हब ये शहर इसलिए कई बड़े-बड़े शहरों से यहां छात्र आते हैं. उनकी संख्या भी बड़ी है. ऐसे में बस स्टैंड का छोटा होना परेशानी पैदा करेगा. ये बसें यहां ठहर नहीं पायेंगी.
शर्मा के मुताबिक करीब 150 नाइट सर्विस बसें चलती हैं. इनका समय भी शाम 6:00 बजे से रात 12:00 के बीच का है. तो ये स्मार्ट होते कोटा की व्यावहारिक दिक्कत है. ऐसे में संचालकों चेतावनी भरे अंदाज में गुजारिश करते हैं कि सरकार पूरी बसों को खड़ा करने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध करवाए, नहीं तो जिस हाल में अभी शहर के अलग-अलग इलाकों से बस चल रही हैं वैसे ही बाद में भी संचालित होती रहेंगी.