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कोटा मेडिकल कॉलेज का COVID डेडिकेटेड वार्ड फुल, परीक्षा भवन को बनाया कोविड केयर सेंटर

कोटा जिले में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जिसके कारण मेडिकल कॉलेज के कोरोना डेडिकेटेट वार्ड फुल हो गए हैं. ऐसे में मेडिकल कॉलेज के परीक्षा भवन को कोविड केयर सेंटर के रूप में चालू किया गया है, जिसमें सोमवार को करीब 37 रोगी स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं.

Kota Medical College,  Kota corona update
COVID डेडिकेटेड वार्ड फुल

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Published : Apr 19, 2021, 5:41 PM IST

कोटा.राजस्थान में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. प्रदेश में रोज हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं. कोटा में भी रोज एक हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, जिसके कारण मेडिकल कॉलेज के डेडिकेटेड वार्ड फुल हो गए हैं. साथ ही जिले में कोरोना से मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है, जिससे श्मशान में शवों की वेटिंग जारी है.

पढ़ें- राजस्थान का सबसे बड़ा COVID डेडिकेटेड अस्पताल RUHS फुल, बरामदों में बेड्स लगाकर किए जा रहे मरीज भर्ती

वहीं, मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डेडिकेटेट वार्ड फुल होने पर एमबीएस अस्पताल में भी कोविड मरीजों के इलाज के लिए वार्ड बना कर भर्ती किया जा रहा है. सोमवार को मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने परीक्षा भवन में करीब 50 बेड लगाकर डे केयर सेंटर शुरू कर दिया है, जिसमें करीब 37 मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

बढ़ी ऑक्सीजन की खपत

कोटा के दोनों बड़े अस्पताल में कोरोना मरीजो की संख्या में बढ़ोतरी के कारण ऑक्सीजन की खपत भी बढ़ गई है. जिससे प्रशासन ने ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियों को सिर्फ मेडिकल कॉलेज को ही ऑक्सीजन देने के निर्देश दिए हैं. वहीं, अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार है, लेकिन उसको अभी चालू नहीं किया गया है.

COVID डेडिकेटेड अस्पताल RUHS फुल

वहीं,राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी डेडीकेटेड कोविड-19 RUHS (राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंस) अस्पताल में बेड फुल हो चुके हैं. हालत ये है कि अब मरीजों को अस्पताल के बरामदे में बेड लगाकर भर्ती किया जा रहा है. वहीं अस्पताल के सभी वेंटिलेटर बेड और ICU लगभग फुल हो चुके हैं.

अस्पताल में लगभग 1200 बेड, 167 वेंटिलेटर और करीब 250 आईसीयू बेड मौजूद हैं लेकिन जिस तरह से बीते कुछ समय से राजधानी जयपुर में कोरोना के आंकड़े बढ़ रहे हैं, उसके बाद अस्पताल फुल हो गया है. ऐसे में मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल प्रशासन को मजबूरन बरामदे में बेड लगाने पड़ रहे हैं और मरीज भर्ती करने पड़ रहा है.

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