कोटा.जेके लोन अस्पताल में मासूम किलकारियों के खामोश होने के बाद अब शिशु रोग विभाग में 5 मेडिकल अफसर, 5 लोकल रेजीडेंट डॉक्टर और 20 नर्सिंग स्टाफ की फौज तैनात कर दी गई है. लापरवाही के दौर में जान गंवा चुके नवजात तो इस कवायद से वापस नहीं लाए जा सकते लेकिन लक्ष्य अब यही है कि दुनिया को देखने से पहले ही बच्चे प्रस्थान न कर जाएं. इसके बावजूद बीते 4 दिनों में इसी अस्पताल में 19 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है.
10 डॉक्टर, 20 नर्सिंग स्टाफ नियुक्त
नवजातों की मौत के मामले में सुर्खियों में रहने वाले जेकेलोन अस्पताल में आखिर प्रबंधन ने सुधार शुरू कर दिया है. अस्पताल में शिशु रोग विभाग के अधीन 10 चिकित्सकों को लगाया गया है. साथ ही 20 नर्सेज को भी दूसरी जगह से यहां पर पदस्थापित किया गया है. 9 नर्सिंग कर्मियों को और लगाया जाएगा. अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा का कहना है कि जिन 10 चिकित्सकों को पदस्थापित किया गया है, इनमें प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज डॉ. विजय सरदाना ने पांच लोकल रेजिडेंट लगाए हैं. इसके अलावा शिशु रोग विभाग में 5 मेडिकल ऑफिसर भी तैनात किए गए हैं. ये रामपुरा अस्पताल और सीएमएचओ के अधीन आने वाली पीएससी सीएससी से भेजे गए हैं.
अब स्टाफ की कमी का बहाना नहीं
प्राचार्य डॉ. सरदाना ने मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल और एमबीएस से 9 नर्सिंग कार्मिकों को भेजा था. इन्हें भी शिशु रोग विभाग में लगाया गया है. साथ ही सीएमएचओ डॉ. तंवर ने 20 नर्सिंग कर्मियों को पेरीफेरी से भेजा था. इनमें से 11 ने ज्वाइन कर लिया है. सभी को शिशु रोग विभाग में लगाया गया है. स्टेट की कमेटी ने जो रिव्यू किया है उसमें एक बात ये भी सामने आई थी कि स्टाफ की कमी के चलते ही बार-बार नवजात शिशुओं को चिकित्सक नहीं देख पाते हैं. साथ ही एमसीआई की गाइडलाइन को देखते हुए एफबीएनसी और एनआईसीयू में स्टाफ भी पर्याप्त नहीं था. हंगामे के बाद ही जेकेलोन अस्पताल में राज्य सरकार ने कमेटी गठित की थी, वो भी दौरा करके गई है.