कोटा. जिले के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के बाद एक बार फिर बच्चों के इलाज पर सवाल खड़ा हो गया है. बता दें कि जेके लोन अस्पताल में पिछले 2 दिनों में 10 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. यह बच्चे पीडियाट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट और न्यूनेटल आईसीयू में भर्ती थे. हालांकि, अस्पताल प्रबंधन इन मौतों को स्वाभाविक और सामान्य बता कर दबाने में जुटा हुआ है. साथ ही पूरे प्रकरण की जांच करवाने की बात भी कर रहा है.
जेके लोन अस्पताल में 2 दिनों में 10 बच्चों की मौत जानकारी के अनुसार कोटा के जेके लोन अस्पताल में सोमवार को 6 और मंगलवार को 4 बच्चों की मौत हुई है. अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार एनआईसीयू में 3 दिन की बेबी ऑफ रेखा, 2 दिन की बेबी ऑफ कांता, 1 दिन की बेबी ऑफ नरगिस, बेबी ऑफ तौली की मौत हुई है. इसी तरह से पीआईसीयू में जोगेंद्र, 5 महीने का तेजस, 9 महीने की पायल, डेढ़ महीने का रजनीश, 2 महीने का धनुष और 1 साल के भरत की मौत हुई है.
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हालांकि, जेके लोन अस्पताल के शिशु रोग विभाग में पीडियाट्रिक और न्यूनेटल आईसीयू हमेशा सवालों के घेरे में रही है. अस्पताल के दोनों आईसीयू में अक्सर उपकरण खराब मिलते हैं तो संक्रमण को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं.
जेकेलोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एचएल मीणा का कहना है कि उन्होंने इस मामले में 3 सदस्य जांच कमेटी गठित कर दी है. अस्पताल में हर एक मौत की डेथ ऑडिट होती है, ऐसे में जो भी यह मामला सामने आया है उसमें भी बच्चों की मौत की डेट ऑडिट करवाएंगे.
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वहीं, मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अमृत लाल बैरवा का कहना है कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से अधिकांश रेफर होकर आए थे और उनकी कंडीशन ज्यादा ही सीरियस थी. उन्होंने कहा कि अस्पताल में चिकित्सक अच्छा उपचार करते हैं, लेकिन जो बच्चे सीरियस होते हैं, उनको बचाना मुश्किल होता है. बैरवा ने कहा कि 3 बच्चे तो इनमें ऐसे थे, जो जन्म के बाद ही सीरियस थे.