जोधपुर. राज्य के दूसरे बड़े महानगर जोधपुर की यूं तो प्रमुख सड़के चमचमाती नजर आती हैं, लेकिन जैसे ही इन सड़कों से जुड़ी गली मोहल्लों की सड़कों पर वाहन हिचकोले खाते नजर आते हैं. हालात यह है कि मुख्य सड़कों के इतर इनसे जुड़ी सड़कें ज्यादातर रखरखाव की अनदेखी का शिकार हो गई है. जिसका खमियाजा आमनज को उठाना पड़ रहा है.
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लोग टूटी सड़कों से पूरे दिन धूल उड़ना, गढ्ढों से आने दिन दुर्घटनाएं होना या फिर लोगों को अन्य परेशानियां जिनसे वे प्रतिदिन रूबरू हो रहे है. इन हालातों के बिगड़ने की सबसे बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि साल 2020 पूरे में नगर निगम में राजनीतिक नेतृत्व नहीं रहा. जोधपुर नगर निगम के चुनाव नवंबर 2019 में होने थे, लेकिन सरकार ने नए परिसिमन के चलते टाल दिया. उसके बाद परिसिमन हुआ तो कोरोना आ गया.
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चुनाव होते ही पुराना बकाया की मांग को लेकर ठेकेदारों ने काम रोक दिया. इसके चलते नगर निगम में कोई भी निर्माण कार्य का टेंडर ठेकेदार नहीं ले रहे है. जिससे सड़कों की मरम्मत का काम एक साल से ठप पड़ा है और टूटी हुई सड़कें और ज्यादा टूट कर लोगों के लिए कोढ़ में खाज का काम कर रही हैं.
इसके अलावा वित्तीय संकट झेल रहे जोधपुर विकास प्राधिकरण भी अपने क्षेत्र की सड़कों पर ध्यान नहीं दे रहा है. नगर निगम की महापौर विनीता सेठ का कहना है कि ठेकेदारों के साथ वार्ता के प्रयास चल रहे है. जल्दी रास्ता निकलेगा तो हम सड़कों के निर्माण और मरम्मत के काम शुरू करेंगे. कई पार्षद भी अपने अपने क्षेत्र की सड़कोंको लेकर प्रार्थना पत्र दे चुके हैं.