जोधपुर. सूर्यनगरी में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. कोरोना मरीजों का आंकड़ा तीस हजार के पार हो गया है. अब तक 450 मौतें हो चुकी हैं. इसका सर्वाधिक असर शहर की तंग गलियों में नजर आता है. इन गलियों के सैकड़ों घरों के बाहर होम क्वारेंटाइन के पर्चे लगे नजर आते हैं. अनलॉक के बाद इनकी संख्या और बढ़ गई है. यहां सोशल डिस्टेंसिंग की पालना आसान नहीं है.
पुष्करणा समाज ने शुरू किया आईसोलेशन सेंटर भीतरी शहर में पुष्करणा समाज की बड़ी आबादी निवास करती है. यहां के ज्यादातर लोग इन दिनों कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. अब तक समाज के सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में कोरोना मरीजों को घर की जगह क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखने के लिए पुष्करणा समाज ने खुद का क्वॉरेंटाइन सेंटर खोल लिया है ताकि परिवार के अन्य सदस्य इस संक्रमण से बचे रहें. हाल ही में कोरोना से एक परिवार के तीन और दो अन्य लोगों की असमय मृत्यु को देखते हुए समाज ने क्षेत्र में अपना क्वॉरेंटाइन सेंटर तैयार किया है, जहां अब मरीजों की भर्ती भी शुरू होने जा रही है.
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इस सेंटर पर मरीजों की देखरेख के लिए स्वैच्छिक रूप से सरकारी नर्सिंग स्टाफ ड्यूटी के बाद अपनी सेवा देने के लिए भी तैयार हो गए हैं. इतना ही नहीं कुछ ही दिनों से इन लोगों ने इस सेंटर को कड़ी मेहनत से तैयार किया है. इस सेंटर का संचालन पुष्टिकर महाविद्यालय से जुड़े भवन में किया जा रहा है. इस आइसोलेशन सेंटर को तैयार करने में सबसे बड़ी भूमिका 'कैलाश की करुणा' नामक संस्थान चलाने वाले राजू व्यास ने निभाई है. जो शहर में चिकित्सा सेवा से जुडे़ होने के साथ सामाजिक सरोकार के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं. उन्होंने अपनी संस्था से बेड, पलंग, आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध करवाए और खुद भी यहां लगे हुए हैं. उनके साथ उनकी पत्नी चंद्रा हर्ष भी सहयोग दे रही हैं, जो खुद उम्मेद अस्पताल में नर्स हैं.
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इसके अलावा समाज के युवा और अन्य लोग भी इस काम में सहयेाग कर रहे हैं. सेंटर पर आने वाले मरीजों को सबसे पहले एक किट दी जाएगी जिसमें प्रतिदिन उपयोग में आने वाली सामग्री होगी. इसके अलावा सेंटर पर मरीज के अलावा परिजन के रुकने की भी व्यवस्था है. सभी के लिए निःशुल्क भोजन भी मिलेगा. राजू व्यास बताते हैं कि कोरोना के चलते बड़ी संख्या में समाज के लोगों की मौत हुई है. वे खुद भी निःशुल्क मोक्ष वाहन का संचालन करते हैं. ऐसे में 80 शव तो वे खुद श्मशान तक ले जा चुके हैं.
वे बताते हैं कि मृत्यु का आंकड़ा कहीं ज्यादा है, जबकि पुष्करणा समाज से कोरोना पॉजिटिव हुए लोगों की गिनती ही नहीं है. इसकी बड़ी वजह यह है कि समाज के ज्यादातर परिवार जोधपुर के भीतरी शहर में रहते हैं. जहां तंग गलियों में छोटे-छोटे घर हैं. इसके अलावा मोहल्लों में खुली जगह भी कम होने से सोशल डिस्टेंसिंग की पालना संभव नहीं है. जिस कारण पुष्करणा समाज के लोग बड़ी संख्या में कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. हाल ही में व्यास परिवार के तीन सदस्यों की कोरोना से मौत होने के बाद समाज के लोगों ने सामाजिक क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाने की ठानी थी.