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अब एंबुलेंस में भी नेगेटिव प्रेशर, संक्रमण का खतरा होगा न्यूनतम...जानें क्या है खास

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Published : Jun 30, 2021, 1:59 PM IST

कोरोना की दूसरी लहर में हमने देखा है कि किस तरह से कोरोना पॉजिटिव मरीज को एंबुलेंस में लाने के लिए कितनी मशक्क्त करनी पड़ती थी. परिजन तक साथ नहीं बैठते थे. चिकित्साकर्मी ड्राइवर के पास बैठ कर मरीज को लाते थे, क्योंकि सभी को इस बात का डर था कि वे साथ बैठे तो संक्रमित हो जाएंगे, लेकिन अब ऐसी मुश्किलों से बड़ी राहत मिलने वाली है. पढ़ें पूरी खबर...

negative pressure in ambulance
अब एंबुलेंस में भी नेगेटिव प्रेशर...

जोधपुर. कोरोना की तीसरी संभावित लहर किसी मरीज को एंबुलेंस में लाना पड़े तो चिकित्साकर्मी व परिजन को परेशान नहीं होना पड़ेगा. वे संक्रमित मरीज के साथ आ सकेंगे. इसके लिए जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज को अत्याधुनिक एंबुलेंस सरकार ने उपलब्ध करवाई है जो नेगेटिव प्रेशर तकनीक से लैस है.

दरअसल, तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए सरकार चिकित्सकीय व्यवस्थाओं को मजबूत करने में लगी है. खास तौर से इस बार बच्चों के लिए खतरा हो सकता है. ऐसे में बच्चों के आईसीयू सहित नए उपकरण व संसाधन जुटाए जा रहे हैं.

अब एंबुलेंस में भी नेगेटिव प्रेशर...

मॉडर्न टेक्निक की दो एंबुलेंस उपलब्ध...

इस कड़ी में जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज को सरकार ने मॉडर्न टेक्निक की दो एंबुलेंस उपलब्ध करवाई है. नेगेटिव प्रेशर तकनीक इन एंबुलेंस को रोपड आईआईटी की मदद से तैयार किया गया है. राजस्थान में सबसे पहले यह एंबुलेंस जोधपुर आई है. एक एंबुलेंस की कीमत 50 लाख रुपए है.

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क्या होता है नेगेटिव प्रेशर...

डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसएस राठौड़ के अनुसार कोविड पेशेंट को जब ट्रोसपोर्ट किया जाता है, उसके इंफेक्शन से एंबुलेंस में वायरस लोड बढ़ता है, क्योंकि हवा क्लीन नहीं होती है. रोपड आईआईटी के सहयोग से सरकार ने नेगेटिव प्रेशर तकनीक को एंबुलेंस में स्थापित किया है. इसमें संक्रमण स्तर न्यूनतम करने के लिए लगातार एंबुलेंस के चेंबर की हवा को साफ किया जाएगा. ऐसे फिल्टर लगे हैं, जो वायरस लोड को लगभग शून्य कर देते है. इससे संक्रमित मरीज के पास बैठे स्टाफ व परिजन को संक्रमित होने का खतरा नहीं के बराबर होगा.

जयपुर में इस वर्ष आईसीयू हुआ शुरू...

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जयपुर आरयूएचएस, एसएमएस व आईडी हॉस्पिटल के आईसीयू में नेगेटिव प्रेशर तकनीक शुरू की गई. जिससे वायरस लोड को न्यूनतम किया जा सके. इससे चिकित्सार्मियों को संक्रमण का खतरा कम रहता है. इसके परिणाम भी अच्छे रहे.

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