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बैंसला की वापसी से बीजेपी को राजस्थान की इन 7 सीटों पर मिलेगा फायदा

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को अपने साथ ले लिया है बैसला ने अपने बेटे विजय बैंसला के साथ बुधवार को दिल्ली में भाजपा ज्वाइन कर ली. बैंसला के आने पर बीजेपी को क्या फायदा होगा आइए जनते हैं.

बैंसला की घर वापसी के पीछे यह रही सियासी कहानी

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Published : Apr 10, 2019, 3:19 PM IST

जयपुर. बेनीवाल के बाद कर्नल बैंसला को भाजपा का साथ दिलाने के मुख्य सूत्रधार भी केंद्रीय मंत्री और राजस्थान भाजपा लोकसभा प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ही रहे. कर्नल बैंसला के भाजपा में आने पर राजस्थान की गुर्जर बाहुल्य 7 लोकसभा सीटों पर इसका फायदा पार्टी को मिलने की संभावना है. इन सीटों में टोंक-सवाईमाधोपुर, करौली-धौलपुर, अजमेर, भरतपुर, दौसा, भीलवाड़ा और जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट शामिल है. जहां बड़ी संख्या में गुर्जर मतदाता निवास करते हैं.

कांग्रेस और भाजपा से चाहते थे बैंसला टिकट
भाजपा में घर वापसी से पहले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला लगातार सुर्खियों में रहे. सुर्खियों में इसलिए क्योंकि पहले कांग्रेस से उनके बेटे के लिए टिकट का नाम सामने आने की चर्चा रही तो वहीं बाद में भाजपा से टिकट की मांग की चर्चा भी राजनीति में जोरों पर रही. बताया जा रहा है कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने अपने बेटे के लिए कांग्रेस से टोंक-सवाई माधोपुर सीट पर टिकट मांगा था लेकिन वहां उनकी दाल नहीं गली.

इसी तरह अपनी बेटी सुनीता बैसला के लिए उन्होंने भाजपा से अजमेर या टोंक सवाई माधोपुर सीट में से किसी एक पर टिकट की मांग की थी लेकिन यह मांग पर्दे के पीछे से गुप्त मंत्रणा में की गई थी इसलिए कोई भी नेता इस बारे में खुलकर नहीं बोला. लेकिन ना कांग्रेस और ना ही भाजपा से उन्हें उनके परिवार को टिकट मिल पाया. ऐसे में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने आखिरकार बुधवार को भाजपा का दामन थाम ही लिया.

भाजपा को चाहिए था एक बड़ा गुर्जर चेहरा
दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी और उस चुनाव में 8 गुर्जर प्रत्याशियों को मैदान में उतारने के बावजूद भाजपा का एक भी गुर्जर प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया. इसका एक बड़ा कारण कांग्रेस के पास पीसीसी चीफ के रूप में गुर्जर समाज से आने वाले सचिन पायलट का होना था. इस स्थिति में प्रदेश का अधिकतर गुर्जर मतदाता कांग्रेस के पक्ष में जाता दिखा.

लोकसभा चुनाव नजदीक था ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने जावड़ेकर के जरिए कर्नल बैंसला से संपर्क साधा और उन्हें भाजपा में शामिल करने में सफल हुए. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला कांग्रेस में चाह कर भी जाने की भूल नहीं कर सकते थे क्योंकि वहां गुर्जर समाज का बड़ा और स्थापित चेहरा सचिन पायलट पहले से मौजूद हैं. ऐसी स्थिति में कांग्रेस में जाने से बैंसला को वह सम्मान नहीं मिल पाता जो भाजपा में मिलने की उम्मीद थी.

अब टिकट नहीं केवल प्रचार में नजर आएंगे बैंसला
भाजपा ज्वाइन करने वाले गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला साल 2009 में भाजपा के टिकट से टोंक सवाई माधोपुर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ चुके हैं. जिसमें उन्हें कांग्रेस के नमो नारायण मीणा ने हराया था. अब वापस भाजपा में शामिल हुए किरोड़ी लाल मीणा को इस चुनाव में कहीं से भी टिकट नहीं मिलेगा क्योंकि भाजपा को एकमात्र दौसा लोकसभा सीट पर अपना प्रत्याशी की घोषणा करनी है लेकिन दौसा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. ऐसी स्थिति में अब लोकसभा चुनाव में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला भाजपा के पक्ष में केवल चुनाव प्रचार करते ही नजर आएंगे.

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